संयोगिता और पृथ्वीराज चौहान की प्रेम कहानी
कन्नौज की राजकुमारी संयोगिता दिल्ली के राजा पृथ्वीराज चौहान से मन-ही-मन में प्रेम करती थी । राजकुमारी पृृथ्वीराज के बहादुरी के किस्से बचपन से ही सुनती आ रही थी । धीरे-धीरे जब वह एक छोटी बालिका से एक युवती के रूप में परिवर्तित हो गई तो उसका यह आकर्षण प्रेेेम में परिवर्तित हो गया । राजकुमारी ने पृथ्वीराज को कभी एक युवक के रूप में नहीं देखा था इसलिए वे पृथ्वीराज का समाचार या उनकी तस्वीर दिखाने वाले को बहुत इनाम दिया करती थी । वह सदैव ही राजा पृथ्वीराज के विषय में जानने को तत्पर रहती थी । उनकी बहादुरी की नईं नई बाते सुनने के लिए प्रतीक्षा करती थी । चित्रकार पन्नाराय राजकुमारी संयोगिता को पृथ्वीराज के अलग-अलग चित्र दिखाया करते थे । एक बार उन्होंने पृथ्वीराज चौहान का जंगल में शिकार करते समय का चित्र दिखाया जिसे देखकर राजकुमारी अपने प्रेम पर मंत्रमुग्ध होकर उस चित्र पर हाथ फेेेरने लगीं । पन्नाराय ने उसी समय राजकुमारी संयोगिता का एक चित्र बनाया जिसमें वह अप्रतिम सुंदरी लग रही थी । उस चित्र को लेकर पन्नाराय दिल्ली पृथ्वीराज चौहान के पास पहुंचे और संयोगिता का संदेश और चित्र उन्हें दिया ।