बुद्ध और उनकी पत्नी यशोधरा


ज्ञान की प्राप्ति के बाद राजकुमार सिद्धार्थ को बुद्धत्व की

प्राप्ति होती है और वे एक सामान्य व्यक्ति से सिद्ध पुरुष के

रूप में जाने जाते हैं । चारों ओर उनकी प्रसिद्धि बढ़ जाती है ,

वे जहां भी जाते हैं लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है , उनका

प्रवचन सुनने के लिए। बुद्ध के महात्मा बनने की जानकारी

उनके पिता राजा शुद्धोधन को भी होती हैै फलस्वरूप वे कई

बार दूत भेजते हैं उन्हें बुलाने के लिए परंतु जो भी दूत बुद्ध को

लेने आता है, वह भी बुद्ध से प्रभावित होकर बौद्ध भिक्षुक 

बन जाता है । अंत में राजा शुद्धोधन ने बुद्ध के बचपन के मित्र

कालुदायी को दूत बनाकर बुद्ध के पास भेजा । हर बार की

तरह ही वह भी बुद्ध के संपर्क में आते ही उनका शिष्य हो गया

परंतु फिर भी कालुदायी हमेशा बुद्ध को अपनी जन्मभूमि एक

बार जाने के लिए प्रेरित करता रहा। अतः कालुदायी का

प्रयास सफल हुआ और बुद्ध कपिलवस्तु जाने के लिए तैयार

हुए ।

       कपिलवस्तु पहुंच कर बुद्ध ने वहां के लोगों को अपने

उपदेश सुनाए । अगले दिन नियमानुसार वे भिक्षाटन के लिए

निकले । जब उनकी पत्नी यशोधरा को पता चला कि बुद्ध

कपिलवस्तु की सड़कों पर भिक्षाटन के लिए निकले है तो वह

अपने महल के झरोखे से उन्हें देखने लगी और उनकी तेजस्वी

मुख को देख अति प्रसन्न हुई परंतु राजा शुद्धोधन को जब इस

बात का पता चला तो वे बहुत खिन्न हुए । जो खुद इस राज्य

का राजा है वही सड़कों में घूम-घूम कर भिक्षा मांग रहा है।

जब राजा को पता चला कि भिक्षुओं के लिए भिक्षा मांगना

अशोभनीय नहीं है तो उन्होंने बुद्ध को उनके अनुयायियों

सहित महल में बुलाया। उनके परिवार की सभी स्त्रियाँ बुद्ध से

मिलने आई परंतु उनकी पत्नी और राहुल की माता यशोधरा

अपने कक्ष में ही बैठी रही और कहा कि अगर मुझमें शीलत्व

है तो वे खुद मुझसे मिलने आएंगे ।

                                    बुद्ध अपने दो विशिष्ट शिष्यों को

साथ लिए यशोधरा से मिलने उसके कक्ष में आए । यशोधरा

बुद्ध के चरणों में लेट गई । उन्होंने यशोधरा के शीलत्व की

प्रंशसा की और उसके पिछले जन्म की कथा सुनाई । अपने

किसी जन्म में वह किन्नरी थी तथा उनके किन्नर पति की हत्या

हो गई और कैसे उसने अपने शीलत्व से अपने पति को

पुनर्जीवित किया था ।
Lord Buddha gives blessings to his wife yashodhara

बुद्ध के गृहत्याग के बाद से ही यशोधरा सादा जीवन जीने

लगती है और जब बुद्ध बौद्ध भिक्षुक संघ में स्त्रियों को भी

स्थान देते हैं तो यशोधरा भी भिक्षु णी बन जाती हैं और बुद्ध

की निर्वानप्राप्ति से दो साल पहले ही प्राण त्याग देती हैं ।



पसंद आया तो पोस्ट शेयर करें:







Recent post :-

• आखिर क्यों हंसने लगा मेघनाद का कटा सिर

• कैसे किया लक्ष्मण जी ने मेघनाद का वध

• अप्सरा मेनका और विश्वामित्र की प्रेम कथा

• उर्वशी पुरूरवा

• शंकुतला और दुष्यंत की प्रेम कथा

• महाबली जरासंध

• अमरनाथ धाम की कथा


टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

Popular post

सिद्धार्थ और हंस / Siddhartha aur Hansha

माता वैष्णोदेवी के भक्त श्रीधर की कथा / Mata vaishno devi ke Bhakt shridhar ki katha

मधु-कैटभ कथा / Madhu-kaitav katha

शुम्भ-निशुम्भ की कथा

रानी महामाया का सपना और महात्मा बुद्ध का जन्म / Rani Mahamaya ka sapna aur Mahatma Buddha ka janam

भस्मासुर का वरदान / Bhasmasur ka wardan

समुद्र मंथन की कथा

शांतनु और गंगा / shantanu aur Ganga