रानी महामाया का सपना और महात्मा बुद्ध का जन्म / Rani Mahamaya ka sapna aur Mahatma Buddha ka janam
महात्मा बुद्ध का जन्म | Birth Story of Mahatma Buddha
कपिलवस्तु के राजा शुद्धोधन की पत्नी 'महारानी महामाया
देवी ' जब गर्भवती थी तब आषाढ़ पूर्णिमा की रात्रि को जब
वह गहरी नींद में सो रही थी तो उन्होंने एक दिव्य सपना
देखा। उन्होंने देखा कि चारों दिशाओं से दूत आये और उन्हें
उठाकर हिमालय पर्वत के नीचे एक 'अनोत वदह' नाम के
सरोवर के किनारे ले गए , जहां चारों ओर सुगंधित फूलों के
बगीचे थे । चार सुंदर युवतियों ने देवी महामाया को नींद से
जगाया और उन्हें सुगंधित उबटन लगा नहलाने के बाद सफेद
वस्त्र पहनाया । थोड़ी देर बाद ही एक सफेद हाथी अपनी
सूढ़ में श्वेत पुष्पों की माला पहन वहां प्रवेश किया और रानी
की प्रदक्षिणा लगाकर सूक्ष्म रूप लेकर उनके गर्भ में प्रवेश
कर गया।
उसी समय रानी की नींद खुल गई । अगली सुबह
रानी महामाया ने अपने स्वप्न के बारे में अपने पति राजा
शुद्धोधन को बताया। वह भी इस प्रकार के स्वप्न का वर्णन
सुन अचंभित हुए और इसका मतलब पूछने के लिए
ज्योतिषियों को बुलाया । सबने इस सपने को बहुत शुभ
बताया जिसे सुनकर रानी बहुत खुश हुई ।
सोने का हंस / Sone ka Hansh
यथासमय जब बच्चे को जन्म देने का समय पास आया तो
रानी ने अपने पति से अपने पिता के घर जाने की अनुमति
मांगी । राजा शुद्धोधन नहीं चाहते थे कि रानी इस समय कहीं
जाएं पंरतु वे रोक भी नहीं सके ।
तत्पश्चात रानी महामाया
अपने दासियों के साथ अपने पीहर चल दी पंरतु उन्हें रास्ते में
ही प्रसव पीड़ा होने लगी। वह दिन था वैशाख पूर्णिमा का और
स्थान लुम्बिनी । रानी ने उसी समय अपने दासियों को रूकने
का संकेत दिया । प्रसव पीड़ा के कारण रानी महामाया ने
एक पेड़ की टहनी पकड़ ली और इस तरह वैशाख पूर्णिमा के
दिन लुम्बिनी नामक स्थान में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय
देवी ' जब गर्भवती थी तब आषाढ़ पूर्णिमा की रात्रि को जब
वह गहरी नींद में सो रही थी तो उन्होंने एक दिव्य सपना
देखा। उन्होंने देखा कि चारों दिशाओं से दूत आये और उन्हें
उठाकर हिमालय पर्वत के नीचे एक 'अनोत वदह' नाम के
सरोवर के किनारे ले गए , जहां चारों ओर सुगंधित फूलों के
बगीचे थे । चार सुंदर युवतियों ने देवी महामाया को नींद से
जगाया और उन्हें सुगंधित उबटन लगा नहलाने के बाद सफेद
वस्त्र पहनाया । थोड़ी देर बाद ही एक सफेद हाथी अपनी
सूढ़ में श्वेत पुष्पों की माला पहन वहां प्रवेश किया और रानी
की प्रदक्षिणा लगाकर सूक्ष्म रूप लेकर उनके गर्भ में प्रवेश
कर गया।
उसी समय रानी की नींद खुल गई । अगली सुबह
रानी महामाया ने अपने स्वप्न के बारे में अपने पति राजा
शुद्धोधन को बताया। वह भी इस प्रकार के स्वप्न का वर्णन
सुन अचंभित हुए और इसका मतलब पूछने के लिए
ज्योतिषियों को बुलाया । सबने इस सपने को बहुत शुभ
बताया जिसे सुनकर रानी बहुत खुश हुई ।
सोने का हंस / Sone ka Hansh
यथासमय जब बच्चे को जन्म देने का समय पास आया तो
रानी ने अपने पति से अपने पिता के घर जाने की अनुमति
मांगी । राजा शुद्धोधन नहीं चाहते थे कि रानी इस समय कहीं
जाएं पंरतु वे रोक भी नहीं सके ।
तत्पश्चात रानी महामाया
अपने दासियों के साथ अपने पीहर चल दी पंरतु उन्हें रास्ते में
ही प्रसव पीड़ा होने लगी। वह दिन था वैशाख पूर्णिमा का और
स्थान लुम्बिनी । रानी ने उसी समय अपने दासियों को रूकने
का संकेत दिया । प्रसव पीड़ा के कारण रानी महामाया ने
एक पेड़ की टहनी पकड़ ली और इस तरह वैशाख पूर्णिमा के
दिन लुम्बिनी नामक स्थान में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय
क्षत्रिय शाक्य कुल में "महात्मा बुद्ध " का जन्म हुआ।
बालक अंत्यत सुंदर और मनोहारी था । जन्म लेने के
पश्चात बुद्ध पांच कदम एक हाथ उठाकर चले । वहां
उपस्थित सभी दासियों ने यह विचित्र घटना देखी ।
रानी महामाया ' भगवान बुद्ध ' को जन्म देने
के बाद सातवें दिन उनका देहांत हो गया । राजा शुद्धोधन
को जब इस बात का पता चला तो वे समझ नहीं पा रहे थे कि
पुत्र जन्म की खुशी मनाए या अपनी पत्नी की मृत्यु का शोक !
राजा शुद्धोधन ने तत्पश्चात महारानी महामाया देवी की सगी
बहन गौतमी से विवाह कर लिया जिन्होंने बुद्ध का
पालन -पोषण माँ की तरह किया ।
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