सोने का हंस - जातक कथाएँ | Jataka Stories In Hindi
Jataka stories in hindi सोने का हंस - जातक कथाएँ | Jataka Stories In Hindi गौतम बुद्ध के समय वाराणसी में एक कर्तव्यनिष्ठ और शीलवान गृहस्थ रहता था । अपनी पत्नी और तीन बेटियों के साथ वह बहुत खुश था परंतु दुर्भाग्यवश उसकी मृत्यु हो गई । मरणोपरांत उस व्यक्ति का जन्म एक स्वर्ण हंस के रूप में हुआ । पूर्व जन्म का मोह उसे इतना ज्यादा था कि वह इस जन्म में भी अपने मनुष्य जन्म को विस्मृत नहीं कर पाया । पूर्व जन्म का मोह उसके वर्तमान को भी प्रभावित कर रहा था । एक दिन वह अपने मोह के आवेश में आकर वाराणसी की ओर उड़ चला जहां उसकी पूर्व जन्म की पत्नी और बेटियां रहती थी । घर की मुंडेर पर बैठकर जब उसने अपने परिवार का हाल देखा तो उसका मन दुखी हो गया क्योंकि उसके मरणोपरांत उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी । उसकी पत्नी और बेटियां सुंदर वस्त्रों की जगह अब चीथड़ों में दीख रही थी । वैभव के सारे सामान का नामो-निशान नहीं था । उसने बड़े उल्लास के साथ अपने परिवार को अपना परिचय दिया । जाते-जाते अपने परिवार को एक सोने का पंख देता गया जिससे उनकी माली हालत थोड़ी सुधर सके ।