सिन्ड्रेला की कहानी | Cinderella fairy tale story in hindi
Cinderella story in hindi |
सिन्ड्रेला की कहानी | Cinderella fairy tale story in hindi
एक नगर में एक धनी व्यापारी रहता था । उसकी एला नाम की एक बहुत सुंदर बेटी थी । एला की माँ नही थी , इसलिए उसके पिता उसे बहुत प्यार करते और उसकी हर जरूरत का ख्याल रखते थे । एला भी अपने पिता को बहुत प्यार करती थी, लेकिन माँ की कमी उसे बहुत खलती थी ।
एला के पिता व्यापार के सिलसिले में अक्सर नगर के बाहर रहते थे । अपने पीछे उन्हें एला की चिंता सताती थी इसलिए दूसरा विवाह कर एला के लिए माँ ले आये । एला की सौतेली माँ एक दुष्ट औरत थी । उसका इरादा एला के पिता के धन-दौलत पर ऐशो-आराम का जीवन व्यतीत करना था । उसकी पहले से ही दो बेटियां थी जो अपनी माँ की तरह ही दुष्ट और बदसूरत थी ।
शादी के बाद एला की सौतेली माँ और बहनें उसी के घर में रहने लगी । एला के पिता के सामने तो वे उससे बहुत मीठी बातें करती थी , लेकिन पीठ पीछे वे एला को तंग करने का कोई अवसर नहीं छोड़ती थी ।
एक रोज एला के पिता को व्यापार सिलसिले में नगर से बाहर जाना पड़ा । कई महिने गुजर गए , एला इंतजार करतीं रही लेकिन उसके पिता नही आए । एक दिन उनके मौत की खबर आई । पिता के जाने के बाद एला अकेली रह गई । उसकी सौतेली माँ और बहनें घर की मालकिन बन बैठी और एला अपने ही घर में नौकरानी बन गई ।
राजकुमारी की तरह जीवन जीने वाली एला को अब उसकी सौतेली माँ पहनने के लिए फटे पुराने कपड़े देती और घर का सारा काम करवाती । फटे-पुराने कपड़ों में भी एला बहुत सुन्दर लगती थी इसलिए उसकी बहनें उससे जलती-कुढ़ती रहती थी ।
उस घर में अब बस एला के दो दोस्त बचे थे , जिनमें दो चूहे और एक नन्ही चिड़िया थी । दिनभर काम करने के बाद एला को जब भी समय मिलता था , वह उनके साथ खेलती । रात को थक कर वह अंगीठी के सामने ही सो जाती थी । सोते समय अंगीठी की राख (सिंडर) छिटककर उस पर गिरने लगती । सुबह-सुबह उसपर अंगीठी की राख बिखरी होती थी , जिसे देखकर उसकी बहनें उसे सिंडर-एला कह कर चिढ़ाती थी । धीरे-धीरे उसका नाम सिन्ड्रेला (Cinderella) पड़ गया ।
एक बार पूरे राज्य में घोषणा हुई कि राजा राजमहल में एक बहुत बड़े जलसे का आयोजन कर रहे हैं । उस जलसे में आने वाली लडकियों में से ही एक लडक़ी राजकुमार विवाह के लिए चुनेंगे । जलसे में राज्य की सभी लडकियों को बुलाया गया ।
इस घोषणा के बारे में जब सिन्ड्रेला की सौतेली बहनों को पता चला तो वे भी जलसे में जाने की तैयारियां करने लगी । सिन्ड्रेला भी जलसे को देखने के लिए काफी उत्साहित थी , लेकिन उसकी सौतेली माँ ने उसे वहां जाने से मना कर दिया । उसे पता था कि सिन्ड्रेला की खूबसूरती के आगे उसकी बेटियों की दाल नहीं गलेगी । उसने सिन्ड्रेला को जाने की अनुमति नहीं दी।
जलसे के दिन सिन्ड्रेला की सौतेली माँ उसे और ज्यादा काम सौंपकर अपनी दोनों बेटियों के साथ जलसे में गई। सिन्ड्रेला उदास होकर दिन भर घर के सारे काम करती रही । काम खत्म करके वह अंगीठी के सामने बैठी तो नन्ही चिड़िया और दोनों चूहे मिलकर उसका मन बहलाने लगे लेकिन सिन्ड्रेला को कुछ भी अच्छा नहीं लगा । उसकी आखों में आंसू आ गए । उसे अपनी माँ की याद आने लगी । वह सोच कर रो रही थी कि अगर आज उसकी माँ होती तो वह भी जलसे में जाती ।
सिन्ड्रेला यह सोच ही रही थी कि अचानक से उसके सामने एक परी प्रकट हुई। परी ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो उसने सारी बातें बता दी । परी ने अपने जादू से सिन्ड्रेला को एक राजकुमारी की तरह तैयार किया । रसोई में रखे कद्दू को परी ने अपनी जादू की छड़ी से एक सुंदर बग्गी बना दिया । दोनों चूहे घोड़े बन गए और चिड़िया कोचवान ।
सिन्ड्रेला के सुंदर पैरों पर परी ने काँच की खूबसूरत जूतियाँ पहनाई और आंखो पर नकाब पहना दिया । अब सिन्ड्रेला जलसे में जाने के लिए तैयार थी। जाते-जाते परी ने कहा कि उसका जादू रात 12बजे तक ही काम करेगा । 12 बजे से पहले अगर वह न लौटी तो वह वापस फटे-पुराने कपड़ों में आ जायेगी । सिन्ड्रेला ने परी से कहा कि वह रात बारह बजे से पहले वापस आ जायेगी और जलसे के लिए निकली ।
सिन्ड्रेला जब जलसे में पहुंची तो उसकी खुबसूरती से सब हैरान रह गए । वह वहां सबसे सुन्दर लड़की थी । जब उसकी सौतेली माँ ने उसे देखा तो जल-भुन कर राख हो गई लेकिन नकाब के चलते उसे पहचान न पाई । राजकुमार की नजर भी सिन्ड्रेला पर टिक गई । राजकुमार को पहली ही नजर में सिन्ड्रेला से प्यार हो गया और वह उसके पास गया और नृत्य के लिए आमंत्रित किया। दोनों पूरी शाम साथ में नृत्य करते रहे । जलसे में उपस्थित हर लडक़ी को उससे ईर्ष्या होने लगी । नृत्य करते समय जब राजकुमार ने सिन्ड्रेला को उसके बारे में पूछा तो उसने अपनी पहचान छुपा ली और कुछ नहीं बताया ।
बहुत दिनों बाद घर से बाहर निकली सिन्ड्रेला बहुत खुश थी । खुशी में वह परी की बात भूल गई । रात के 12 बजते ही जब घड़ी का घंटा बजा तो उसे परी की बात याद आई । अब उसे हर हाल में वापस लौटना था । वह राजकुमार का हाथ छुड़ा कर महल के बाहर खड़ी अपनी बग्गी की ओर भागी । राजकुमार उसे जाने नही देना चाहता था , वह उसके पीछे भागा । भागते-भागते महल के दरवाजे के पास सिन्ड्रेला के पैर की एक जूती निकल गई । उसके पास फिर से पहनने का समय नही था । वह उसे छोड़कर बग्गी में बैठी । राजकुमार जब महल के बाहर आया बग्गी जा चुकी थी और सिन्ड्रेला भी । राजकुमार उदास होकर महल में जाने लगा । तभी दरवाजे पर पड़ी सिन्ड्रेला की काँच की जूती पर उसकी नजर पडी और उसने उठा लिया ।
इधर सिन्ड्रेला जैसे ही घर पहुंची , परी के जादू का प्रभाव खत्म हो गया । वह पहले की तरह अपने फटे-पुराने कपड़ों में वापस आ गई। बग्गी फिर से कद्दू बन गया । चूहे और नन्ही चिड़िया भी अपने असली रूप में आ गए । लेकिन सिन्ड्रेला ( Cinderella) बहुत खुश थी । उसने परी का शुक्रिया अदा किया । परी ने भी उसे ढेर सारा आशीर्वाद दिया और चली गई ।
दिन बीतने लगे । राजकुमार के मन में अब भी सिन्ड्रेला बसी हुई थी । वह उसे भूल नही पा रहा था । उसने मन बना लिया कि वह किसी तरह से सिन्ड्रेला को ढूंढ निकालेगा और उससे विवाह करेगा । सिन्ड्रेला को ढूँढने के लिए उसके पास काँच की जूती थी । उसने पूरे राज्य में यह घोषणा कर दी कि जिसके पैर मे यह काँच की जूती आएगी , उसी से विवाह करेगा ।
राज्य की सभी लड़कियां राजकुमार से विवाह करने की इच्छुक थी । सभी उस काँच की जूती को अपना बताकर उसे पहनने की कोशिश करने लगी । लेकिन वह जूती किसी के पैरों में न आई । राजकुमार सेवकों के साथ नगर-नगर घूम रहा था । एक दिन वह सिन्ड्रेला के घर पहुंचा ।
सिन्ड्रेला की सौतेली माँ ने राजकुमार का स्वागत किया , उसे घर के अंदर ले गई । वहां अपनी दोनों बेटियों से मिलवाया लेकिन सिन्ड्रेला को राजकुमार के सामने आने नही दिया । सिन्ड्रेला की सौतेली बहनें जूती को अपने पैरों में घुसाने में लग गई लेकिन लाख कोशिशो के बाद भी वह पैरों में न आई ।
निराश राजकुमार वहां से जाने लगा कि उसकी नजर परदे के पीछे झाकती सिन्ड्रेला पर पड़ गई । सिन्ड्रेला की सौतेली माँ के बहुत मना करने के बाद भी राजकुमार ने उसे जूती पहनने के लिए बाहर बुला लिया । सिन्ड्रेला ने जब जूती पहनी तो उसके पैरों में आ गई । उसने दूसरी जूती भी निकालकर पहन ली । यह देखकर उसकी सौतेली माँ और बहनों की आँखे फटी की फटी रह गई ।
लेकिन राजकुमार समझ गया कि सिन्ड्रेला ही वह लड़की है , जो जलसे में आयी थी और जिससे वह प्यार करने लगा था । उसने सिन्ड्रेला के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा जिसे सिन्ड्रेला ने सहर्ष स्वीकार कर लिया । राजकुमार और सिन्ड्रेला का विवाह हो गया और दोनों खुशी-खुशी रहने लगे ।
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