वेताल पच्चीसी - बीसवीं कहानी | विक्रम वेताल की कहानी
वेताल पच्चीसी - बीसवीं कहानी | विक्रम वेताल की कहानी
चित्रकूट नगर में एक राजा रहता था । एक दिन वह जंगल में शिकार खेलने गया । घूमते-घूमते वह रास्ता भूल गया और अकेला रह गया । थक कर वह पेड़ की छाया में लेटा कि उसे एक ऋषि कन्या दिखाई दी । उसे देखकर राजा उसपर मोहित हो गया । थोड़ी देर में ऋषि स्वयं आ गए ।
ऋषि ने पूछा तुम यहाँ कैसे आए हो ? राजा ने कहा कि मैं शिकार खेलने के लिए आया था ।
ऋषि बोले - बेटा , तुम क्यों जीवों को मारकर पाप कमाते हो ?
राजा ने वादा किया कि मैं अब कभी शिकार नही खेलूगां ।
खुश होकर ऋषि ने कहा - तुम्हे जो मांगना है , मांग लो ।
राजा ने ऋषि कन्या मांग ली और ऋषि ने खुश होकर दोनों का विवाह कर दिया । राजा जब उसे लेकर चला तो रास्ते में एक भयंकर राक्षस मिला ।
वह बोला - मैं तुम्हारी रानी को खाऊंगा । अगर चाहते हो कि वह बच जाए तो सात दिन के भीतर एक ऐसे ब्राह्मण-पुत्र का बलिदान करो , जो अपनी इच्छा से अपने को दे और उसे मारते समय उसके माता-पिता उसके हाथ-पैर पकड़े ।
डर के मारे राजा ने उसकी बात मान ली । वह अपने नगर को लौटा और दीवान को सब हाल कह सुनाया ।
दीवान ने कहा - आप परेशान न हों , मैं उपाय करता हूँ ।
इसके बाद दीवान ने सात बरस के बालक की सोने की मूर्ति बनवायी और उसे कीमती गहने पहनाकर नगर-नगर और गांव-गांव घुमवाया । यह कहलवा दिया कि जो कोई सात बरस का ब्रह्माण बालक अपने को बलिदान के लिए देगा और बलिदान के समय उसके माता-पिता उसके हाथ-पैर पकड़े रहेंगे , उसी को यह मूर्ति और सौ गांव मिलेंगे ।
यह सुनकर एक ब्राह्मण बालक राजी हो गया , उसने माता-पिता से कहा - आपकों बहुत से पुत्र मिल जाऐंगे । मेरे शरीर से राजा की भलाई होगी और आपकी गरीबी मिट जाएगी ।
माता-पिता ने बहुत मना किया , पर बालक ने हठ से उन्हें राजी कर लिया । माता-पिता बालक को लेकर राजा के पास गए । राजा उन्हें लेकर राक्षस के पास गया । राक्षस के सामने माता-पिता ने बालक के हाथ-पैर पकड़े और राजा उसे तलवार से मारने को तैयार हुआ । उसी समय बालक बड़े जोर से हंस पड़ा ।
इतना कहकर वेताल बोला - हे राजन् , बताओं वह बालक क्यों हंसा ?
राजा ने फौरन कहा - इसलिए कि मुसीबत के समय आदमी माता-पिता को रक्षा के लिए पुकारता है । माता-पिता न हो तो पीड़ित की मदद राजा करता है । राजा न करे तो देवी-देवता करते हैं लेकिन यहां उसके पास कोई नहीं है । ब्राह्मण का लड़का परोपकार के लिए अपना शरीर दे रहा है , इसी हर्ष और अचरज से वह हंस पड़ा ।
राजा विक्रम के इतना कहते ही वेताल गायब हो गया । राजा वापस लौटा और वेताल को फिर पेड़ से उतारा और लेकर चला । तब उसने अगली कहानी सुनाई ।
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