किन्नरों के देवता इरावन
अर्जुन और उलूपी के पुत्र का नाम इरावन था । दक्षिण
भारत के तमिलनाडु में इरावन की देवता की तरह पूजा की
जाती है विशेषकर किन्नर समाज में एक खास दिन सारे
किन्नर इकठ्ठे होकर इरावन से सामुहिक विवाह करते हैं और
अगले दिन उन्हें मृत मानकर एक विधवा की तरह विलाप
करते हैं ।
महाभारत के कथनानुसार, महाभारत युद्ध के समय
सहदेव जिन्हें त्रिकाल दृष्टि प्राप्त थी ने इरावन को बता दिया
था कि अगले दिन उनकी युद्ध में मृत्यु हो जाएगी ।
अपनी मृत्यु की बात सुनकर भी इरावन नहीं घबराएं तत्पश्चात
उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से जाकर विनती की कि वे
अविवाहित नहीं मरना चाहते । इतने कम समय में किसी
कन्या से इरावन का विवाह कैसे हो सकता था और इसलिए
श्रीकृष्ण ने मोहिनी रूप धारण कर इरावन से विवाह किया ।
अगले दिन युद्ध का आठवां दिन था चूंकि भीष्म पितामह
प्रतिज्ञा कर चुके थे कि वे किसी पांडव और उसके पुत्रों का
वध नहीं करेंगे और इरावन की मायावी शक्तियों के आगे किसी
की नहीं चल रही थी इसलिए मजबूर होकर दुर्योधन को
मायावी राक्षस अलम्बुष की मदद लेनी पड़ी जिसने इरावन
का वध किया । मोहिनी रूप धारण किये कृष्ण विधवा हो
गए और उन्होंने इरावन की मृत्यु पर विलाप किया ।
यही प्रथा इरावन के साथ किन्नर मानाते है । इसका कारण
यह है कि श्रीकृष्ण पुरूष थे और उन्होंने स्त्री रूप धारण कर
इरावन से विवाह किया । किन्नर भी स्त्रियों के भेष में पुरुष
होते हैं ।
देश भर में किन्नर इरावन को अपने आराध्य देव के रूप में
पूजते हैं ।
महाभारत की कहानियाँ ( stories of mahabharat)
Recent post :-
• अप्सरा मेनका और विश्वामित्र की प्रेम कथा
• उर्वशी पुरूरवा
• शंकुतला और दुष्यंत की प्रेम कथा
• महाबली जरासंध
• अमरनाथ धाम की कथा
• गयासुर की कथा
• सोने की लंका
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें