उर्वशी पुरूरवा


             
Urvashi pururava love story


एक बार नारद मुनि राजा पुरूरवा के रूप , गुण , बुद्धि और

युद्धकौशल की प्रशंसा देवराज इंद्र से कर रहे थे । स्वर्ग की

सबसे सुन्दर अप्सरा उर्वशी उस समय वही मौजूद थी और

देवर्षि नारद से राजा पुरूरवा का बखान सुन रहीं थीं । उर्वशी

ने मृत्युलोक के राजा की इतनी प्रशंसा सुनी तो वह उन्हें देखने

के लिए लालायित हो गई । बिना कुछ सोचे वह मृत्युलोक

पहुंच गई और जब उसने पुरूरवा को देखा तो मंत्रमुग्ध हो गई

दूसरी ओर राजा पुरूरवा भी उर्वशी के रूप सौंदर्य को देखते

ही उसपर मर मिटे । उन्होंने तत्काल ही उर्वशी के सामने

विवाह का प्रस्ताव रख दिया ।


उर्वशी को पुरूरवा का विवाह प्रस्ताव मंजूर था परंतु उसने

राजा के सामने दो शर्तें रख दी । पुरूरवा उस समय उर्वशी के

लिए इतने पागल हुए कि बिना सुने उन्होंने दोनों शर्तें मान भी

लिया । उर्वशी की पहली शर्त थी कि वे उसके दो भेड़ो की

रक्षा करेंगे क्योंकि वह उन भेड़ो को अपने पुत्र समान समझतीं

है । उसकी दूसरी शर्त यह थी कि वे एक दूसरे को नग्न

अवस्था में अपने यौन संबंधो के समय ही देखेंगे । अगर

पुरूरवा ने एक भी वचन तोड़ा तो वह वापस स्वर्ग लौट

जाएगी । राजा ने दोनों शर्तें मान ली ।


इस प्रकार दोनों का विवाह हुआ और वे सुखपूर्वक रहने लगे ।

उधर स्वर्गलोक में यह चर्चा होने लगी कि स्वर्ग की सबसे

सुन्दर अप्सरा ने यहां के सारे सुखों को त्यागकर मृत्युलोक

में अपना संसार बसा लिया है । उर्वशी के बिना स्वर्ग भी बहुत

बेरंग सा हो गया । इन्द्र को बहुत बुरा लग रहा था कि उर्वशी

उन्हें छोडक़र पुरूरवा के पास चली गई ।

इसी बीच उर्वशी और पुरूरवा के 6पुत्र हुए । जब देवराज इन्द्र

से यह सब सहन नहीं हुआ तो उन्होंने गंधर्वो को आदेश दिया

कि किसी भी तरह से उर्वशी को स्वर्ग वापस लेकर आए ।



इन्द्र के कहने पर एक रात गंधर्व पुरूरवा के महल में गए और

उर्वशी के दोनों भेड़ो को चुरा लिया और वहां से चले गए ।

जब गंधर्व भेड़ो को चुरा रहे थे तो उस समय पुरूरवा और

उर्वशी प्रेम मे लीन थे । भेड़ की आवाज़ सुनकर उर्वशी चौंकी

उसने राजा से कहा कि उसके भेड़ो की रक्षा करें । राजा

अपने पहले वचन की रक्षा हेतु भेड़ो को ढूँढने निकल गए परंतु

वे भूल गए कि वे निर्वस्त्र है ।


पुरूरवा भेड़ो की रक्षा करने का वचन तो तोड़ ही चुके थे अब

गंधर्वो ने अपनी दूसरी चाल चलीं । अपने प्रिय भेड़ो को

खोजने के लिए उर्वशी भी पुरूरवा के पीछे दौड़ी । वह भी

उसी जगह पहुंची जहां पुरूरवा ने भेड़ो को पकड़ रखा था

परंतु तभी गंधर्वो ने वहां बिजली चमका दिया जिससे उर्वशी ने

पुरूरवा को वहां निर्वस्त्र देख लिया ।

दोनों वचन टूटते ही उर्वशी स्वर्गलोक चलीं गई । पुरूरवा ने

उसे बहुत रोका परंतु वह न मानी और कहा कि वह स्वयं

बहुत दुखी है परंतु स्वर्ग की अप्सरा होने के कारण वह नियमों

से बंधी हुई है ।





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