गयासुर की कथा


                       
Story of Damon Gayasur


पुराणों  के अनुसार गया (बिहार) नगर में एक राक्षस रहा

करता था जिसका नाम था गयासुर  । गयासुर को वरदान

मिला था कि जो भी उसे देखेगा या स्पर्श करेगा वह सीधे

बैकुंठ जाएगा । इस कारण से यमलोक सूना होने लगा ।

इससे परेशान होकर यमराज ने त्रिदेव से कहा कि प्रभु गयासुर

के वरदान के कारण अब पापी और अधर्मी व्यक्ति भी बैकुंठ

जाने लगें हैं । इसका कोई उपाय निकालिए ।


यमराज के कहने पर ब्रह्मा जी गयासुर के पास गए और बोले

'वत्स ! तुम परम पवित्र हो इसलिए देवताओं की इच्छा है कि

हम तुम्हारी पीठ पर यज्ञ करें ।'


गयासुर इसके  लिए सहर्ष तैयार हो गया । तब गयासुर के पीठ

पर सभी देवता और स्वयं विष्णु जी गदा धारण कर स्थित हो

गए । गयासुर के शरीर को स्थिर करने के लिए एक बड़ी सी

शिला भी रखी गई । इसे आज प्रेत शिला के नाम से जाना

जाता है ।


गयासुर के इस समर्पण को देखकर भगवान विष्णु बड़े प्रसन्न

हुए और गयासुर को वरदान दिया कि अब से यह स्थान जहां

तुम्हारे शरीर पर यज्ञ हुआ वह गया  नाम से जानाा जाएगा ।



यहाँ पर पिंडदान और श्राद्ध करने वाले को पुण्य और

पिण्डदान प्राप्त करने वाले को मुक्ति मिलेगी ।


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