अमरनाथ धाम की कथा

                       
Story of Amarnath pilgrim in hindi Shiva and parvati

पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार , एक बार माता पार्वती ने

भगवान भोलेनाथ से पूछा - ' प्रभु आप अजर अमर है और

मुझे हर बार एक नया जन्म लेकर नए स्वरूप में कठोर तपस्या

करनी पडती है आपको पाने के लिए , मेरी इतनी कठोर

परीक्षा क्यों लेते है ? आपके कंठ में पड़े इस नरमुण्ड माला

और आपके अमर होने का क्या रहस्य है ?

तब भगवान भोलेनाथ ने माता से कहा कि वे उन्हें एकांत में

गुप्त स्थान मे अमर कथा सुनाएंगे ताकि कोई अन्य जीव उसे

सुन न ले । यह अमर कथा जो भी सुनेगा वह अमरत्व प्राप्त

कर लेगा ।


भोलेनाथ माता पार्वती को अमरनाथ की पवित्र गुफा में यह

कथा माता को सुनाते हैं । कथा सुनते - सुनते माता पार्वती

को नींद आ जाती है और वे वही सो जातीं हैं जिसका पता

भोलेनाथ को नहीं चलता क्योंकि वे कथा सुनाने मे रमे होते है

उस समय वहां दो सफेद कबूतरों का जोडा था जो ध्यानपूर्वक

भोलेनाथ की कथा सुन रहे थे । वे बीच-बीच में गूं गूं की

आवाज़ निकाल रहे थे । इस कारण भोलेनाथ को लगा कि

पार्वती जी कथा सुन हुँकार भर रही है ।


और इस तरह दोनो कबूतरों ने अमर होने की कथा पूरी सुन

ली । जब कथा समाप्त हुई तो भोलेनाथ का ध्यान पार्वती जी

पर गया । देखा वे तो सो रहीं हैं ।

इसके बाद भोलेनाथ की दृष्टि कबूतरों पर पड़ी तो वे क्रोधित

हो उठे और उन्हें मारने के लिए दौड़े ।

उनका क्रोध देखकर कबूतरों ने उनसे याचना की कि प्रभु

हमने आपसे अमर होने की कथा सुनी है , अगर आप हमें

मार देंगे तो यह कथा झूठी हो जाएगी ।


इस पर भोलेनाथ ने उन कबूतरों को जीवित छोड़ दिया और

वरदान दिया कि तुम दोनों हमेशा इस जगह पर शंकर पार्वती

के चिन्ह के रूप में यहाँ रहोगे । तब से वह कबूतर का जोड़ा

अमर हो गया और आज भी वहां उनके दर्शन भक्त करते हैं ।


और यह गुफा अमरनाथ धाम से जानीं गई । 

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