अंगूर खट्टे हैं
जंगल में एक लोमड़ी रहा करती थी । एक बार कि बात है , उसे बहुत जोर की भूख लगी हुई थी परंतु बहुत ढूूँढने पर भी उसे कुुुछ खाने को नहीं मिल रहा था । काफी समय तक इधर-उधर भटकने पर उसे एक अंगूर का बाग दिखाई पड़ा ।
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भूख से व्याकुल लोमड़ी अंगूर के बाग में पहुंची । वहां अंगूर गुच्छों में लटकते देख उसकी भूख ओर बढ़ गई । वह जैसे ही अंगूर खाने के लिए आगे बढ़ी तब उसे पता चला कि वे अत्यधिक ऊचाई पर है ।
काफी देर प्रयास करने के बाद भी उसे सफलता न मिली और वह धडाम से गिर गई । गिरने की वजह से उसे बहुत शर्मिन्दगी महसूस हुई और वहां से जाने लगी तभी वहां बैठा एक सियार जो लोमड़ी को उछलता देख रहा था । उसने मुस्कुराते हुए पूछा -" बुआ ! क्या बात है बिना अंगूर खाएं ही जाओगी ?"
इसपर उस लोमड़ी ने कहा -"अंगूर खट्टे हैं अगर मैं इसे खाऊंगी तो बीमार पड़ जाऊँगी ।"
इस तरह लोमड़ी ने अपनी असमर्थता छुपाने के लिए कहा कि अंगूर खट्टे हैं । समय के साथ यह कहावत प्रचलित हो गई और लोग इसका प्रयोग समान्य बोलचाल की भाषा में करने लगे ।
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