एक रात के लिए जी उठे महाभारत युद्ध में मृत योद्धा
महाभारत के युद्ध में मारे गए सभी योद्धा जैैसे कि भीष्म
पितामह , द्रोणाचार्य , दुर्योधन , कर्ण और अभिमन्यु आदि
एक रात के लिए पुनर्जीवित हो गए थे । यह घटना महाभारत
युद्ध के खत्म होने के 16 साल बाद की है ।
यह उस समय की बात है जब धृष्टराष्ट , गांधारी , कुंती , विदुर
और संजय वन में रहते थे । वहां महात्मा विदुर जी के प्राण
त्यागने के बाद महर्षि वेदव्यास जी आए । उन्होंने धृतराष्ट्र
गांधारी और कुंती से कहा कि आज मैं तुम्हें अपनी तपस्या
का प्रभाव दिखाऊँगा । तुम सब की जो इच्छा है वह मुझसे
मांग लो ।
तब धृतराष्ट्र और गांधारी ने अपने मरे हुए सौ पुत्रों को तथा
कुंती ने कर्ण को देखने की इच्छा जताई । महर्षि वेदव्यास ने
कहा कि ऐसा ही होगा परंतु इसके लिए रात्रि तक की प्रतिक्षा
करनी होगी । वेदव्यास जी के कहे अनुसार सभी गंगा तट
पर गए और रात्रि होने की प्रतीक्षा करने लगे ।
रात्रि होने पर महर्षि वेदव्यास ने गंगा नदी में प्रवेश किया और
कौरवों और पांडव पक्ष के सभी योद्धाओं का आह्वान किया ।
थोड़ी देर बाद सभी योद्धा प्रकट हो गए और धृतराष्ट्र और
गांधारी को वेदव्यास ने दिव्य दृष्टि प्रदान की । अपने मृत
परिजनों को देखकर उन सभी के मन में हर्ष छा गया ।
सारी रात्रि अपने मृत परिजनों के साथ बिताकर सबके मन
को संताप मिला । उन्हें संतोष मिल गया । इस तरह वह
अद्भुत रात समाप्त हो गई ।
- महाभारत की कहानियाँ (stories of mahabharat)
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