चाणक्य और चन्द्रगुप्त भाग-2


घनानंद द्वारा अपमानित किए जाने पर आचार्य चाणक्य ने अखंड प्रतिज्ञा की कि वे संपूर्ण 'नंद वंश 'का सर्वनाश कर देेंगे और मगध को एक सुुुयोग्य शासक के हाथों सौंपेंगे जो सारे भारतवर्ष को एक सूत्र में बांधकर रखेगा और वक्त आने

पर अपने देश की रक्षा विदेशी आक्रमणकर्ताओ से करेगा ।
आचार्य चाणक्य की खोज 'चन्द्रगुप्त मौर्य ' पर खत्म हुुुई ।
King of magdha chandragupta murya student of chanakya

                                 नंद के दरबार से अपमानित होने के बाद चाणक्य कुछ समय पाटलिपुत्र में ही रहे।  एक बार जब वे एक स्थान से गुज़र रहे थे तो उन्होंने एक तीक्ष्ण बुद्धि वाले बालक को देखा जो खेल -खेल में राजा बना हुआ था ।

बाकी सारे बालक उसकी प्रजा का अभिनय कर रहे थे । वह छोटा बालक इतनी सूझ बूझ वाला था कि आचार्य उसकी प्रतिभा देखते ही पहचान गए और उसके पास जाकर उसका नाम तथा माता-पिता के बारे में पूछा ।

बालक ने बडी विनम्रता के साथ जवाब दिया  - ब्राहमण देव!
मेरा नाम चन्द्रगुप्त है और मेरी माता का नाम मुरा हैं।  मैं अपने मामा और अपनी माता के साथ पास के कबीले में रहता हूँ ।

मेरे पिता राजा घनानंद की सेना में थे और युद्ध मे मारे गए ।

                                      आचार्य चन्द्रगुप्त की माँ से मिलने गए और चन्द्रगुप्त के कुल तथा पिता के बारे मे पूछा ।
पहले तो मुरा ने अपने पति और कुल के बारे में कोई भी बात करने से मना कर दिया परंतु जब चाणक्य ने कहा कि उनके बेटे मे एक राजा बनने के गुण हैं और हो न हो उसके नसों में  एक क्षत्रिय का रक्त बह रहा है ।

मुरा अपने पुत्र के बारे में ऐसी बातें सुनकर रो पड़ी और आचार्य चाणक्य से विनती की कि वे चन्द्रगुप्त के क्षत्रिय होने का भेद किसी को न बताएं ।

मुरा ने बताया कि उनके पति मोरिय पिप्पालवन के शासक थे और उनका छोटा सा राज्य नेपाल की तराई में बसा हुआ था।
मगध राजा घनानंद की राज्य विस्तार नीति और धन लोलुपता के कारण उनका सब कुछ नष्ट हो गया और उसके पति भी मारे गए। तब वह किसी तरह अपनी और अपने पुत्र चन्द्रगुप्त की जान बचाकर भाग आई और इन चरवाहे कबीले के साथ रहकर अपना जीवन यापन कर रही है ।

चाणक्य उसी समय चन्द्रगुप्त को अपने साथ तक्षशिला विश्वविद्यालय ले जाते हैं और वहां उसके राजोचित शिक्षा का प्रबंध कर अपने साथ रख लेते है ।


चन्द्रगुप्त मौर्य के कुल तथा पिता के बारे मे सही जानकारी उपलब्ध नहीं है क्योंकि कही उन्हें नंद का ही पुत्र माना गया है जो एक शूद्र स्त्री मूरा से पैदा हुआ है । लेकिन ऐसा होना संभव नहीं है क्योंकि अगर चन्द्रगुप्त शूद्रा से पैदा हुए होते तो आचार्य चाणक्य जैसे विद्वान और ब्राहमण कभी भी उन्हें राजा बनने नहीं देते । 






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टिप्पणियाँ

  1. चन्द्रगुप्त मौर्य महापद्मनंद के दूसरी पत्नी मूरा(क्षत्राणी) से जन्म लिया था,किंतु महापद्मनंद नाई शुद्र थे लेकिन नाई भी वैदिक क्षत्रिय राजवंश है,शुद्र नही,ढोंगी पंडित ब्राह्मण ने मुग़ल के समय मे मिलीभगत करके नाई(क्षत्रिय) को एक
    शुद्र जाति का रूप दे दिया,क्योकि ब्राह्मण और क्षत्रिय कभी नही चाहते थे कि इस देश पे कोई अन्य राज करे,पहले सिर्फ काम बंटा हुआ था जाती नही।

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