आखिर क्यों हंसने लगा मेघनाद का कटा सिर
मेघनाद एक वीर राक्षस योद्धा था जिसने इन्द्र पर जीत हासिल
करने की वजह से इन्द्रजीत नाम मिला । मेघों की आड़ मे युद्ध
करने की वजह से रावण का यह पुत्र मेघनाद कहलाया ।
अपने पिता रावण की आज्ञानुसार वह भगवान राम , लक्ष्मण
और उनकी सेना को समाप्त करने के लिए युद्ध करने लगा
लेकिन लक्ष्मण के एक धातक बाण से उसका सर धड़ से
अलग हो गया । मेघनाद बहुत ताकतवर था जब उसका सर
धड़ से अलग होकर नीचे गिरा तो वानर सेना और स्वयं श्रीराम
उसके सर को निहारने लगे । श्रीराम ने उसके सर को संभाल
कर रख लिया और उसकी एक भुजा को बाण के द्वारा उसकी
पत्नी सुलोचना के महल में पहुंचा दिया । वे सुलोचना को
मेघनाद के वध की सूचना देना चाहते थे ।
वह भुजा जब सुलोचना ने देखीं तो उसे विश्वास नहीं हुआ कि
उसके पति की मृत्यु हो गई है और यह उसकी भुजा है ।
उसने कहा कि अगर तुम वास्तव मे मेरे पति की भुजा हो तो
लिखकर मेरी दुविधा को दूर करों ।
सुलोचना के इतना कहते ही भुजा हरकत करने लगी और तब
उसने एक खड़िय लाकर उस भुजा को दी । उस कटे हुए हाथ
ने वहां जमीन पर लक्ष्मण जी के प्रशंसा के शब्द लिख दिए ।
यह देखकर सुलोचना विलाप करने लगीं । अब उसे विश्वास
हो गया कि उसका पति मर चुका है । वह उसी समय रथ मे
बैठकर युद्ध क्षेत्र में रावण के पास गई । सुलोचना ने रावण को
मेघनाद की भुजा दिखाई और उसका सर मांगा । वह बोली
मुझे अब एक क्षण के लिए भी जीवित नहीं रहना है मै अपने
पति के साथ ही सती हो जाऊंगी ।
तब रावण ने कहा पुत्री थोड़ी देर प्रतीक्षा करो मेघनाद का सिर
शत्रु के सिर के साथ लाता हूँ । सुलोचना को उसकी बात पर
विश्वास नहीं हुआ । तब सुलोचना मंदोदरी के पास चली गई
तब मंदोदरी ने उसे कहा कि तुम प्रभु श्रीराम के पास जाओ
वह बहुत दयालु है ।
सुलोचना जब राम के पास पहुंची तो विभीषण ने उसका
परिचय करवाया । सुलोचना ने कहा - 'हे राम ! मैं आपकी
शरण में आई हूँ । मेरे पति का सर मुझे लौटा दे ताकि मै सती
हो सकूँ '।
श्रीराम को सुलोचना की दशा देखकर बड़ा दुख हुआ । प्रभु
ने कहा मैं अभी तुम्हारे पति को जीवित कर देता हूँ ।
सुलोचना ने कहा कि नहीं मैं नहीं चाहतीं कि मेरे पति जीवित
होकर संसार के कष्टों को झेले । आपके दर्शन हो गए यह
जीवन धन्य हुआ । अब ओर जीने की इच्छा नहीं है ।
श्रीराम के कहने पर सुग्रीव मेघनाद का सिर ले आए परंतु
उनके मन में यह जानने की जिज्ञासा हो रहीं थीं कि आखिर
कैसे मेघनाद के कटे हाथ ने लक्ष्मण का गुणगान किया ।
सुग्रीव से न रहा गया और वे बोले मैं सुलोचना की बात तभी
मानूँगा जब यह नरमुण्ड हँसेंगा ।
सुलोचना एक सती थी अतः उसने जैसे ही कहा स्वामी अगर
आप नहीं हसे गे तो मेरी बात झूठी हो जाएगी । सुलोचना के
इतना बोलते ही मेघनाद का कटा सिर जोर जोर से हंसने
लगा ।
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