बुद्ध का गृहत्याग / Buddha ka Girihtayag


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गौतम बुद्ध का विवाह 16वर्ष की आयु में उनकी बुआ की बेटी

यशोधरा के साथ कर दिया गया।  बुद्ध के पिता राजा शुद्धोधन

नहीं चाहते थे कि उनका पुत्र सन्यासी बने इसलिए बुद्ध को

अपने महल से ज्यादा निकलने नहीं दिया जाता था । उनके

पिता नहीं चाहते थे कि सांसारिक जीवन के बारे मे उनके

पुत्र को ज्यादा कुछ पता चले इसलिए उन्होंने गौतम बुद्ध के

लिए तीन ॠतुओं के मुताबिक तीन सुंदर महल बनवाया ।

वहां नाच-गाने का उत्तम प्रबंध किया और मनोरंजन की सारी

सामाग्री जुटा दी । हजारों दास - दासियों को उनकी सेवा में

रख दिया । भोग-विलास की कोई कमी न हो इसका महत्वपूर्ण

ध्यान रखा जाता था । गौतम अपनी पत्नी यशोधरा के साथ

यहाँ सुखपूर्वक रहा करते थे परंतु उनका वैरागी मन इन सब में

नहीं लगता।  वे अक्सर गंभीर चिंतन में डूबे हुए रहते , इस

बात का भान यशोधरा को था परंतु वह कभी अपने पति के

विचारों को कुंठित न होने देती तथापि उसे अपने पति के

बिछड़ने का भय भी था ।


                                  एक बार कि बात है, वसंत ऋतु का

समय था । गौतम बुद्ध को बाहर घूमने और वसंत की बहार

देखने की इच्छा जागी।  जब वे बाहर निकले तो सड़क पर

उन्हें एक बूढ़ा आदमी दिखाई दिया । वह इतना बूढ़ा हो गया

था कि लकड़ी के सहारे कांपते हुए चल रहा था । उसके

बाल पके में और दांत टूट चुका था तथा उसकी  काया पूरी

तरह से जर्जर हो गई थी ।

वहां से आगे बढ़े तो उन्हें एक रोगी दिखाई पड़ा जिसका

शरीर बिमारी की वजह से पीला पड़ गया था । उसकी दशा

बहुत ही खराब हो गया थी परंतु उसका कोई देखने वाला नहीं

था । गौतम बुद्ध उसे देखकर बहुत दुखी हुए और आगे बढ़े

तो उन्हें एक अर्थी दिखाई पड गई, जिसके पीछे लोग दहाड़

मारकर रो रहे थे।  ये सब देख कर कुमार गौतम का मन

विचलित हो उठा और वे बैचैन हो गए ।

तत्पश्चात उन्हें एक सन्यासी दिखाई पड़ा जिसके चेहरे पर

असीम शांति झलक रही है और वह अपनी  चाल में मस्त

प्रसन्नचित्त दिख रहा था ।

                                गौतम बुद्ध उस दिन के बाद ही

गंभीर चिंतन में डूबे रहने लगे  । उनका मन विचलित रहने

लगा और एक रात वे अपनी पत्नी और पुत्र को सोता छोड़

निकल पड़े ज्ञान और शांति की खोज में ।


गौतम बुद्ध के इसी "गृहत्याग " को बौद्ध ग्रंथो में

"महाभिनिष्क्रमण" कहा गया है ।




                                      - महात्मा बुद्ध के जीवन से प्रेरित कहानियाँ (जातक कथाएँ  / Jatak katha)






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