सहदेव जिन्होंने खाया अपने पिता का मस्तिष्क

पाण्डु को ऋषि किंदम ने श्राप दिया था कि जब भी वह स्त्री

के साथ संबंध बनायेंगे तभी उनकी मृत्यु हो जाएगी । श्राप के

कारण ही पाण्डु को अपनी कोई संतान नहीं हुई यद्यपि उनके

पांच पुत्र थे । सबसे बड़े युधिष्ठिर , भीम ,  अर्जुन,  नकुल
और सहदेव ।  युधिष्ठिर अर्जुन और भीम  माता कुुंती की 

संतानें थी और नकुल और सहदेव का जन्म मान्द्री से हुआ था




कुंती को ऋषि दुर्वासा ने एक मंत्र दिया था कि वह जिस भी 

देवता का आह्वान करके उनसे पुत्र की इच्छा रखेगी उस

देवता से उन्हें पुत्र की प्राप्ति होगी । जिसके फलस्वरूप कुंती

और मान्द्री दोनों को पुत्र प्राप्ति हुई और पाण्डु धर्म पिता बनें ।



पाण्डु  ने तप के बल पर बहुत ज्ञान हासिल किया था । उन्हें 

भूत भविष्य और वर्तमान में जो हुआ और होगा सब की 

जानकारी थी । उन्हें ज्योतिषी आदि का भी ज्ञान प्राप्त था ।

और वह अपना ज्ञान अपने पांचो पुत्रों को देना चाहते थे परंतु

उन्हें समझ नहीं आया कि यह ज्ञान उन्हें कैसे दे । एक बार

पाण्डु ने अपने पांचो पुत्रों को बुलाया और कहा कि जब

उनकी मृत्यु हो जाएगी तो वे सभी उनके मृत शरीर का मांस

थोड़ा-थोड़ा खा ले । इससे उनका सारा ज्ञान उनके पुत्रों के

पास चला जाएगा परंतु पांडवो ने ऐसा करने से मना कर दिया



कथनानुसार जब पाण्डु की मृत्यु हुई तो सभी पाण्डव भाई

शोक में अपने पिता की बात भुल गए । परंतु सहदेव जो 

सबसे छोटे थे और सबसे बुद्धिमान भी उन्हें अपने पिता की

बात याद आ गई और उन्होंने अपने पिता की इच्छानुसार 

उनके मस्तिष्क के तीन टुकड़ों को खाया । पहले टुकड़ा खाने 

से सहदेव को भूतकाल, दूसरे से वर्तमान और तीसरा टुकड़ा

खाने से भविष्य के बारे में सब कुछ पता चल गया । इस 

प्रकार सहदेव को त्रिकालदृष्टि प्राप्त हुई । 




भगवान श्रीकृष्ण को यह बात पता थी कि महाभारत युद्ध के

बारे में सहदेव को सब पता है । अगर वे चाहे तो यह बात 

अपने भाईयों को बता सकता है । श्रीकृष्ण नहीं चाहते थे कि

महाभारत का युद्ध रूके क्योंकि धर्म की स्थापना के लिए 

यह युद्ध होना बहुत जरूरी था । खुद सहदेव भी यह जानते

थे कि यह युद्ध कितना आवश्यक है । परंतु फिर भी श्रीकृष्ण

ने सहदेव को समझाया कि वह भविष्य में होने वाले इस 

भयंकर युद्ध के बारे में किसी को न बताएं । कृष्ण ने सहदेव

को बताया कि वे किसी के प्रश्न का उत्तर प्रश्न से ही दे । 



श्रीकृष्ण की इच्छानुसार सहदेव ने खुद को बहुत कम ही कहा

है ।
           
Sehdev eats his own fathers brain







                                          - महाभारत की कहानियाँ (stories of mahabharat)





Historical stories in hindi | ऐतिहासिक कहानियाँ


• वीर दुर्गादास राठौड़

• औरंगजेब और जैनाबाई

• जब अलाउद्दीन खिलजी की बेटी को प्यार हुआ एक राजपूत राजकुमार से

• मुमताज और शाहजहाँ की अमर प्रेम कहानी

• बेहद दर्दनाक थी मुमताज की मौत



पौराणिक कथाएं यहां पढें | Read more Mythological stories in hindi








टिप्पणियाँ

Popular post

सिद्धार्थ और हंस / Siddhartha aur Hansha

माता वैष्णोदेवी के भक्त श्रीधर की कथा / Mata vaishno devi ke Bhakt shridhar ki katha

मधु-कैटभ कथा / Madhu-kaitav katha

शुम्भ-निशुम्भ की कथा

रानी महामाया का सपना और महात्मा बुद्ध का जन्म / Rani Mahamaya ka sapna aur Mahatma Buddha ka janam

भस्मासुर का वरदान / Bhasmasur ka wardan

समुद्र मंथन की कथा

शांतनु और गंगा / shantanu aur Ganga