सेवक का त्याग
बहुत समय पहले किसी देश का वीरवर नाम का एक राजकुमार राजा शूद्रक के राज्य में पहुंचा और राजा से मिलने की इच्छा से राजमहल के द्वार पर आकर द्वारपाल से बोला-'मैं दूर देश से आया एक राजकुमार हूं और आपके स्वामी से भेंट करने की इच्छा रखता हूं।' द्वारपाल ने जब राजा को यह सूचना दी तो राजा ने उसे अपने पास बुलवा लिया। राजकुमार ने राजा के पास पहुंचकर उसे प्रणाम किया और बोला-'महाराज! मुझे आपके राज्य में नौकरी चाहिए। कृपया मुझे नौकर रख लीजिए और मेरा वेतन निर्धारित कर दीजिए।' राजा शूद्रक को वह एक योग्य व्यक्ति लगा। अतः उसने पूछा-'हम तुम्हें अपने यहां नौकरी पर रख लेंगे। पर यह तो बताओ कि वेतन कितना लोगे?' राजकुमार बोला-'प्रतिदिन पांच सौ स्वर्ण मुद्राएं।' 'ऐसी तुममें क्या विशेषता है?' राजा ने पूछा। 'महाराज! मेरे पास दो हाथ और एक तलवार है।' यह भी कोई विशेषता हुई? मात्र इतने के लिए तो इतना वेतन नहीं दिया जा सकता।' यह सुनकर राजकुमार वहां से जाने लगा। राजा के मंत्री ने उसे जाते देखा तो राजा से कहा-'महाराज! मेरा विचार है कि इसको चार दिन के ल