उपाय से सब कुछ संभव है
ब्रह्मवन में कर्पूर तिलक नाम का एक हाथी रहता था।
उसको देखकर एक बार कुछ सियारों ने सोचा कि
यदि किसी तरह इस हाथी को मार डाला जाए तो इसके
मांस से कई महीने के भोजन का जुगाड़ किया जा सकता है। सब इस बात पर विचार करने लगे। तभी एक
बूढ़े सियार ने सोचकर कहा-'मैं वादा करता हूं कि अपने बुद्विबल से इस हाथी को मार डालूंगा।'
यह वचन देकर वह धूर्त सियार
कर्पूर तिलक के पास पहुंचा और साष्टांग प्रणाम करके बोला-'देव!मेरा प्रणाम स्वीकार कीजिए।मैं आपसे कुछ निवेदन करने के लिए यहां आया हूं।'
'कहो। क्या कहना चाहते हो?' हाथी ने पूछा।
'देव! जंगल के सम्स्त पशुओं ने मिलकर यह निर्णय किया है कि आपको इस जंगल का राजा बना दिया
जाए।उनके अनुसार राजा होने के समस्त गुण आपके
अंदर मौजूद हैं।'
यह सुनकर हाथी खुश हो गया। सियार ने जब उसे यह
बताया कि राजा बनने का शुभ मुहूर्त बस आंरभ ही होने
वाला है तो वह तत्काल उस धूर्त सियार के साथ चल
पड़ा। राजा का लोभ होता ही ऐसा है। उस मूर्ख प्राणी
ने यह भी न सोचा कि उसे बुलाने के लिए सियार जैसे धूर्त प्राणी को ही क्यों भेजा गया।
सियार उसको ऐसे मार्ग पर ले
गया जो गहरे दलदल वाला था। हाथी उस दलदल मे
फंस गया। वह जितना बाहर निकलने की कोशिश करता , अपने भारी वजन के कारण उतना ही दलदल में गहरा
धंसने लगा। अब तो वह घबरा गया और सियार से बोला
-'मित्र सियार। अब क्या किया जाए? मैं तो इस दलदल
मे फंसकर रह गया हूं।'
सियार हंसा और बोला -'तुमने मुझ जैसे सियार की बात पर विश्वास कर लिया, अब उसका फल भोगो।'
इस प्रकार वह हाथी उसी दलदल में फंसकर
मृत्यु को प्राप्त हो गया। सियारों ने उसका मांस खाकर
आंनद से दावत उड़ाई, इसलिए कहा गया है कि जो
काम पराक्रम से नहीं हो सकता, वह उपाय से सहज ही
सिद्व हो जाता है।
उसको देखकर एक बार कुछ सियारों ने सोचा कि
यदि किसी तरह इस हाथी को मार डाला जाए तो इसके
मांस से कई महीने के भोजन का जुगाड़ किया जा सकता है। सब इस बात पर विचार करने लगे। तभी एक
बूढ़े सियार ने सोचकर कहा-'मैं वादा करता हूं कि अपने बुद्विबल से इस हाथी को मार डालूंगा।'
यह वचन देकर वह धूर्त सियार
कर्पूर तिलक के पास पहुंचा और साष्टांग प्रणाम करके बोला-'देव!मेरा प्रणाम स्वीकार कीजिए।मैं आपसे कुछ निवेदन करने के लिए यहां आया हूं।'
'कहो। क्या कहना चाहते हो?' हाथी ने पूछा।
'देव! जंगल के सम्स्त पशुओं ने मिलकर यह निर्णय किया है कि आपको इस जंगल का राजा बना दिया
जाए।उनके अनुसार राजा होने के समस्त गुण आपके
अंदर मौजूद हैं।'
यह सुनकर हाथी खुश हो गया। सियार ने जब उसे यह
बताया कि राजा बनने का शुभ मुहूर्त बस आंरभ ही होने
वाला है तो वह तत्काल उस धूर्त सियार के साथ चल
पड़ा। राजा का लोभ होता ही ऐसा है। उस मूर्ख प्राणी
ने यह भी न सोचा कि उसे बुलाने के लिए सियार जैसे धूर्त प्राणी को ही क्यों भेजा गया।
सियार उसको ऐसे मार्ग पर ले
गया जो गहरे दलदल वाला था। हाथी उस दलदल मे
फंस गया। वह जितना बाहर निकलने की कोशिश करता , अपने भारी वजन के कारण उतना ही दलदल में गहरा
धंसने लगा। अब तो वह घबरा गया और सियार से बोला
-'मित्र सियार। अब क्या किया जाए? मैं तो इस दलदल
मे फंसकर रह गया हूं।'
सियार हंसा और बोला -'तुमने मुझ जैसे सियार की बात पर विश्वास कर लिया, अब उसका फल भोगो।'
इस प्रकार वह हाथी उसी दलदल में फंसकर
मृत्यु को प्राप्त हो गया। सियारों ने उसका मांस खाकर
आंनद से दावत उड़ाई, इसलिए कहा गया है कि जो
काम पराक्रम से नहीं हो सकता, वह उपाय से सहज ही
सिद्व हो जाता है।
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