नकल के लिए भी अकल चाहिए
किसी समय हस्तिनापुर मे बिलास नाम का एक धोबी रहता था। वह बहुत लोभी था। बोझा ढोने के लिए उसने
एक गधा रखा हुआ था। दिन भर वह गधे से खूब काम
लेता किन्तु उसे भरपेट खाने को न देता। इस प्रकार दिन
रात मेहनत करने और भरपेट भोजन न मिलने के कारण गधा बहुत कमजोर हो गया। धोबी ने तब भी उससे काम
लेना जारी रखा।
एक दिन धोबी ने सोचा कि यदि यह गधा मर गया तो
मुझे बहुत हानि उठानी पड़ेगी। कुछ ऐसा उपाय करू कि
यह गधा मेरा काम भी करता रहे और इसके चारे आदि
का खर्च भी मुझको न उठाना पडे़। यही सोचकर धोबी
कहीं से एक मरे हुए बाघ की खाल ले आया।
उसने वह खाल गधे को पहना दी और उसे खेतों में खुला
छोड़ दिया। खेत के रखवाले उसे दूर से देखते और बाघ समझकर उसके पास जाने से डरते। गधा मजे से खेतों
मे चरता रहता। कुछ ही दिन में मनमाना भोजन मिलने
के कारण वह खूब हष्टपुष्ट हो गया।
एक दिन एक किसान ने सोचा-'यह बाघ कहां से आने लगा। पहले तो यह कभी आता नहीं था।' तब उसने उस
बाघ को मारने की एक तरकीब सोची। उसने काला कम्बल ओढ लिया और धनुष-बाण लेकर खेत के एक
सुरक्षित स्थान पर बैठ गया। खेत में चरने वाले गधे की दृष्टि जब उस पर पड़ी तो उसने उसे(खेत के स्वामी को)
भी कोई गधा ही समझा और जातिगत स्वाभाव के कारण उसकी ओर देखकर रेंकना आरंभ कर दिया।
बस फिर क्या था? खेत का स्वामी तत्काल समझ गया कि यह बाघ की खाल ओढ़े कोई
गधा है। इसे मारने में क्या कठिनाई हो सकती है।
बस वह पिल पड़ा गधे पर और उसे इतना मारा कि
उसका दम ही निकल गया।
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का खर्च भी मुझको न उठाना पडे़। यही सोचकर धोबी
कहीं से एक मरे हुए बाघ की खाल ले आया।
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उसने वह खाल गधे को पहना दी और उसे खेतों में खुला
छोड़ दिया। खेत के रखवाले उसे दूर से देखते और बाघ समझकर उसके पास जाने से डरते। गधा मजे से खेतों
मे चरता रहता। कुछ ही दिन में मनमाना भोजन मिलने
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