यह हुजूर का दिया हैं - अकबर बीरबल की कहानियाँ | Akbar Birbal stories in hindi

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यह हुजूर का दिया हैं - अकबर बीरबल की कहानियाँ | Akbar Birbal stories in hindi 


सर्दियों का मौसम खत्म हो रहा था । मौसम बड़ा सुहाना हो रहा था । ऐसे समय में बादशाह अकबर और बीरबल दोनों अपने घोड़े पर सवार होकर कुदरत के नजारे देखने निकले थे ।


चारों ओर की सुंदरता देखकर बादशाह अकबर के मुंह से निकल गया  - "भाई अस्क पेदार शूमस्त (शूमा हस्त ) " ।


इन शब्दों के दो अर्थ थे - पहला फारसी में - "यह घोड़ा तुम्हारे बाप का है " दूसरा अर्थ था - यह घोड़ा तुम्हारा बाप है । 


बीरबल तुरंत समझ गए कि बादशाह क्या कहना चाहते हैं । वह बोले - दाद-ए-हुजुरस्त"। इसका अर्थ है - यह हुजूर का दिया हैं । 


बादशाह अकबर के पास कहने को कुछ नहीं बचा।  बीरबल ने जैसे को तैसा जवाब दिया । 

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