वेताल पच्चीसी - दसवीं कहानी | विक्रम वेताल की कहानी
वेताल पच्चीसी - दसवीं कहानी | विक्रम वेताल की कहानी
मदनपुर में वीरवर नामक राजा राज्य करता था । उसके राज्य में एक वैश्य था , जिसका नाम हिरण्यदत्त था । उसके मदनसेना नामक एक कन्या थी ।
एक दिन मदनसेना अपनी सखियों के साथ बाग में गई । वहां संयोग से सोमदत्त नामक सेठ का लड़का धर्मदत्त अपने मित्र के साथ आया हुआ था । वह मदनसेना को देखते ही उससे प्रेम करने लगा । घर लौटकर वह उसके लिए सारी रात बैचैन रहा । अगले दिन फिर वह बाग में गया । वहां मदनसेना अकेली बैठी थी ।
उसने उसके पास जाकर कहा - तुम मुझसे प्यार नहीं करोगी तो मैं प्राण त्याग दूंगा ।
मदनसेना बोली - आज से पांचवे दिन मेरी शादी हैं । मैं तुम्हारी नहीं हो सकती ।
वह बोला - मैं तुम्हारे बिना जीवित नहीं रह सकता ।
मदनसेना डर गयी । बोली - अच्छी बात है , मेरा विवाह हो जाने दो मैं अपने पति के पास जाने से पहले तुमसे मिलने आऊंगी ।
वचन देकर मदनसेना डर गयी । उसका विवाह हो गया और जब वह अपने पति के पास गयी तो उदास होकर बोली - "आप मुझपर विश्वास करे और अभय दान दे तो एक बात कहूँ !" पति ने विश्वास दिलाया तो उसने सारी बात कही । सुनकर पति ने सोचा कि यह बिना गये तो मानेगी नही । रोकना बेकार है । उसने जाने की आज्ञा दे दी।
मदनसेना अच्छे कपड़े और गहने पहनकर गयी । रास्ते में उसे एक चोर मिला । उसने उसका आँचल पकड़ लिया ।
मदनसेना ने कहा - तुम मुझे छोड़ दो अगर मेरे गहने लेना चाहते हो तो ले लो ।
चोर बोला - मैं तो तुम्हें चाहता हूँ ।
मदनसेना ने उसे सारा हाल कह सुनाया - पहले मैं वहां से हो आऊंगी तब तुम्हारे पास आऊंगी ।
चोर ने उसे छोड़ दिया ।
मदनसेना धर्मदत्त के पास पहुंची । उसे देखकर वह बड़ा खुश हुआ और पूछा - अपने पति से कैसे बचकर आई?
मदनसेना ने सारी बात सच सच बता दी । धर्मदत्त पर उसका बड़ा प्रभाव पड़ा । उसने उसे छोड़ दिया । फिर वह चोर के पास आई । चोर सब कुछ जानकार बड़ा प्रभावित हुआ और वह उसे घर छोड़ आया । इस प्रकार मदनसेना सबसे बचकर अपने पति के पास आ गयी । पति ने सारा हाल सुना तो वह बहुत खुश हुआ और आनंद से रहने लगा ।
इतना कहकर वेताल बोला - हे राजन् ! बताओं पति, धर्मदत्त , और चोर , इनमें सबसे त्यागी कौन है ?
राजा ने कहा - चोर । मदनसेना का आदमी तो उसे दूसरे आदमी पर रूझान होने के कारण छोड़ देता। धर्मदत्त इसलिए छोड़ देता कि उसका मन बदल गया है और फिर उसे इस बात का भी डर है कि कहीं मदनसेना का पति कहीं राजा से कह कर उसे दण्ड ना दिला दे । लेकिन चोर को किसी का पता नहीं था , फिर भी उसने उसे छोड़ दिया । इसलिए वह दोनों से त्यागी है।
राजा का जवाब सुनकर वेताल फिर से पेड़ पर जा बैठा । राजा फिर उसे लेकर चला तो उसने ग्यारहवीं कहानी सुनाई ।
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