पोरव राष्ट्र / Pourav Rastra
पोरव राष्ट्र झेलम नदी केे किनारे बसा था । पोरव राष्ट्र का मुख्य रंग नीला था इसलिये इस राज्य को नीला सदन भी कहा जाता था । यहां के घरों का रंग नीला था । यहांं के सैनिक भी नीली वरदी पहनते थे । राज्य का हर एक व्यक्ति नीले कपडे पहनता था।
वैसे तो पोरव राष्ट्र पर अनेकों राजा- महाराजाओं ने राज्य किया पंरतु मुख्य थे - राजा पुरू , राजा भरत , राजा पौरव राजा बमनी , राजा पोरस , राजा मलयकेतु व भद्रकेतु ।
पोरव राष्ट्र के राजाओं के राजपरिवार को पौरव राजपरिवार कहा जाता था । पोरव राष्ट्र का इतिहास काफी लोकप्रिय है । राजा बमनी और उनके पुत्र राजा पोरस को भारत के बहादुर राजाओं में गिना जाता है । पोरव राष्ट्र के इतिहास में बहादुरी और उसकी कहानियाँ झेलम की लड़ाई के बाद से अच्छी तरह से उल्लेखित की गई है । यही राजा पोरस ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए लडाई लड़ी । झेलम का यह युद्ध हाईडेस्पीज युद्ध के नाम से प्रसिद्ध हैै ।
राजा भरत जिनके नाम पर भारतवर्ष का नाम दिया गया था । ऐसा कहा जाता है कि ऋग्वेद में उल्लेख किया गया है कि राजा पोरस केे पूर्वज पुरू जनजाति के समान थे तो इसकेे अनुसार राजा भरत इनके पूर्वज हुए । पोरव राष्ट्र के राजाओं का पंजाब क्षेेेत्र में समृद्ध साम्राज्य था । इनका राज्य झेलम नदी से चेनाब नदी तक फैला था । राजा पोरस का समय 340ई पू से 315 ई पू तक माना जाता है ।
राजा पोरस इसलिए प्रसिद्ध हैं , क्योंकि उन्होंने सिकंदर से युद्ध किया था । इस युद्ध में सिकंदर को राजा पोरस से कड़ी टक्कर मिली थी जिसके फलस्वरूप उसके सैनिकों के हौसले टूट गए और उसने संपूर्ण भारत को जीतने का सपना छोड़ दिया ।
राजा पोरस के बारे जो भी जानकारी उपलब्ध है वो ग्रीक स्रोतों पर आधारित है । आमतौर पर यह कहानी प्रचलित है कि सिकंदर और राजा पोरस के बीच हुए युद्ध में सिकंदर की विजय हुई और उसने राजा पोरस की बहादुरी से खुश होकर उन्हें उनका राज्य लौटा दिया । इतिहास को निष्पक्ष लिखने वाले ग्रीक विद्वान प्लूटार्क ने लिखा है कि " इस युद्ध में यूनानी आठ घंटे तक लड़ते रहे पर किस्मत ने इस बार उनका साथ नहीं दिया ।" इससे पता चलता है कि इस युद्ध में सिकंदर की हार हुई ।
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