राजा विक्रमादित्य की कहानियाँ 7 / Stories of Raja Vikramaditya 7
सिंहासन बत्तीसी की कहानियाँ
सातवीं पुतली कोमुदी ने कहना आरम्भ किया -
एक बार कि बात है , राजा विक्रमादित्य सो रहा था । आधी रात से ज्यादा का समय बीत चुका था । अचानक उसे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी । राजा ढाल-तलवार लेकर , आवाज़ की तरफ चल पड़ा। चलते-चलते नदी के पास पहुंचा तो उसे एक तरूण स्त्री दिखाई दी जो दहाड़ मारकर रो रही थी । राजा ने पूछा तो उसने बताया कि उसका पति चोरी करता था । एक दिन उसे कोतवाल ने पकड़ लिया और सूली पर लटका दिया। मैं उसे प्यार से खाना खिलाने आई हूँ , लेकिन यह सूली इतनी ऊंची हैं कि मेरा हाथ उसके मुंह तक जा ही नहीं रहा ।
राजा ने कहा - इसमें क्या है , तुम मेरे कंधे पर चढ़कर उसे खाना खिला दो।
वह स्त्री डायन थी । राजा विक्रमादित्य के कंधे पर सवार होकर उसे खाना खिलाने लगी । पेट भरकर वह नीचे उतरी ।
राजा से बोली - मैं तुमसे बहुत खुश हूँ । जो चाहो सो मांगो ।
राजा ने कहा - अच्छा ! तुम मुझे अन्नपूर्णा दे दो।
वह बोली - अन्नपूर्णा तो मेरी बहन के पास है । मेरे साथ चलो दे दूंगी ।
दोनों वहां से नदी के किनारे एक मकान पर गए । उस स्त्री ने वहां ताली बजाई । बहन आई । स्त्री ने उसे सारी बातें बताई और कहा कि इसे अन्नपूर्णा दे दो। बहन ने हंस कर उसे एक थैली दी और कहा " जो भी खाने की चीज चाहोगे इसमें मिल जाएंगी । " राजा विक्रमादित्य ने खुश होकर वह थैली ली और वहां से चल दिया । सुबह होने वाली थी , राजा ने नदी पर जाकर स्नान-ध्यान पूजा-पाठ किया । इतने में एक ब्राह्मण वहां आया ।
उसने कहा - भूख लगी है ।
राजा विक्रमादित्य ने पूछा - क्या खाओगे ? उसने जो जो कहा राजा ने थैली में से निकाल कर दिया ।
ब्राह्मण ने पेट भरकर खाना खाया और कहा - कुछ दक्षिणा भी दे दो ।
राजा ने कहा - जो मांगोगे दूंगा। ब्राह्मण ने वही थैली मांग ली । राजा ने खुशी-खुशी उसे वह थैली दी और अपने महल लौट आया ।
पुतली बोली - हे राजन् ! देखों विक्रमादित्य को , इतनी मेहनत से मिली थैली को ब्राह्मण को देते देर न लगी । तुम ऐसे दानी हो तो सिंहासन पर बैठों नहीं तो पाप लगेगा ।
राजा भोज सिंहासन पर बैठने के लिए उतावले हो उठे । अगले दिन जब वह फिर से सिंहासन पर बैठने के लिए आगे बढ़ा तो आठवीं पुतली पुष्पावती ने रोक दिया ।
पुतली बोली - इस पर बैठने की आशा छोड़ दो ।
राजा भोज - क्यों ?
पुतली बोली - लो सुनों ।
आठवीं पुतली पुष्पावती की कहानी अगले पोस्ट में पढें -
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