वट सावित्री व्रत 2020 / vat savitri vrat
Vat savitri puja |
और महेश तीनों का वास होता है । वट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा , व्रत , कथा आदि सुनने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है । भगवान बुद्ध को भी इसी वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी अतः वट वृक्ष को ज्ञान , निर्वान व दीर्घायु की प्रतीक माना जाता है ।
देवी सावित्री को भारतीय संस्कृति में एक आदर्श नारीत्व व सौभाग्य पतिव्रता के लिए आदर्श चरित्र माना गया है । सावित्री का अर्थ वेद माता गायत्री और सरस्वती भी होता है । वट वृक्ष का पूजन और सावित्री सत्यवान की कथा का स्मरण करने के विधान के कारण ही यह व्रत वट सावित्री के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।
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इस दिन महिलाएं विधि - विधान के साथ पूजा - अर्चना कर कथा कर्म के साथ-साथ वट वृक्ष के चारों ओर घूमकर सूत के धागे को लपेटती है जिसे रक्षा का प्रतीक माना जाता है । वट वृक्ष को बांस के बने पंखे से पंखा झलती है । पूजा के बाद अपने पति के चरण स्पर्श कर उन्हें उसी पंखे से पंखा झलती है और मिष्ठान्न वितरण करतीं हैं ।
इस वर्ष वट सावित्री का व्रत शुक्रवार 22 मई , 2020 को है । यह ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है ।
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