जैन धर्म के 24 तीर्थंकर कौन थे / Jain Dharma ke 24 Tirthakar kaun the

जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए । तीर्थंकर का अर्थ है - तारने वाला । तीर्थंकर को अरिहंत कहा जाता है । अरिहंत का मतलब होता है , जिसने अपने अंदर के शत्रुओं पर विजय पा लिया हो । एक ऐसा व्यक्ति जिसने कैवल्य ज्ञान को प्राप्त कर लिया हो । अरिहंत का मतलब भगवान भी होता है । जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए ।


1. ऋषभदेव :-  ऋषभदेव का जन्म चैत्र मास की कृृष्ण की अष्टमी-नवमी को अयोध्या मे हुआ । इनके दो पुत्र भरत और बाहुुबली तथा दो पुत्रियां ब्रह्मी  और सुुंदरी हुई । ऋषभनाथ को जन्म से ही समस्त कलााओं का ज्ञान था । उन्होंने हजारों
बर्षों तक सुखपूर्वक राज्य किया और फिर अपने राज्य को अपने पुत्रों में बांटकर खुद दिगम्बर तपस्वी बन गए । उनके साथ सैकड़ो लोगों ने उनका अनुसरण किया ।
जैन मान्यता है कि पूर्णता प्राप्त करने से पूर्व तक तीर्थंकर मौन रहते हैं । अतः उन्हें एक वर्ष तक भूखे रहना पड़ा । पूर्णता प्राप्त करने के बाद उन्होंने अपना मौन व्रत तोड़ा और संपूर्ण आर्यावर्त में लगभग 99 साल तक लोगों को जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त होने का उपाय बताया । अपनी आयु के 14 दिन शेष रहने पर भगवान ऋषभनाथ हिमालय पर्वत के कैलाश शिखर पर समाधिलीन हो गए । वही माघ कृष्ण चतुर्दशी के दिन उन्होंने निर्वाण (मोक्ष ) प्राप्त किया ।

   
Jain Dharma 24 Tirthakar image
Rishavnath image

2. अजीतनाथजी :-  द्वितीय तीर्थंकर अजीतनाथ जी का जन्म भी अयोध्याा मेें हुआ । इनकी माता का नाम विजया और पिता जितशत्रु थे । पौष शुक्ल् पक्ष की एकादशी को उनकों कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई । चैत्र शुक्ल की पंचमी को सम्मेेद शिखर पर निर्वाण प््राप्त हुआ ।


3. संभवनाथजी :-  इनका जन्म मार्गशीष चतुर्दशी को श्रावस्ती में हुआ था ।  इनकी माता का नाम सुसेना और पिता का नाम जितारी था । इनको निर्वाण की प्राप्ति सम्मेद शिखर में हुई ।


4. अभिनंदनजी :- ये जैैैन धर्म के चौथ  तीर्थंकर हुए इनका जन्म माघ शुक्ल की बारस को अयोध्या मे हुआ । इनकी माता का नाम सिद्धार्था देेवी तथ पिता का नाम सन्वर था ।


5. सुमतिनाथजी :- ये जैन धर्म के पाांचवे तीर्थंकर हुए । वैशाख शुक्ल की अष्टमी को इनका जन्म साकेतपुरी ( अयोध्या ) में मेघरथ तथा सुमंंगला के घर हुआ ।


6. पद्मप्रभुजी :- पद्मप्रभुजी जैन धर्म केे छठे तीर्थंकर हुए । इनके पिता का नाम धरण राज एवं माता सुसीमा देवी थी ।कार्तिक कृृष्ण की द्वादशी को इनका जन्म् वत्स कौशाम्बी में हुुुआ ।




7. सुपार्श्वनाथ :- सातवें तीर्थंकर का जन्म वाराणासी में    प्रतिस्थसेन और पृथ्वीदेेवी के घर हुआ ।



8. चन्द्रप्रभु :- ये आठवें तीर्थंकर थे इनके पिता का नाम राजा महासेन तथा माता सुलक्षणा थी । इनका जन्म् पौष कृष्ण पक्ष  की बारस को चन्द्रपुरी में हुआ ।



9. पुष्पदंत :- नौवें तीर्थंकर पुष्पदंंत को सुविधिनाथ भी कहा जाता है । इनके पिता का नाम राजा सुग्रीव राज तथा मााता का नाम रमा रानी था, जो इक्ष्वाकु वंश से थी । मार्गशीष कृृष्ण की पंचमी  को काकांदी में आपका जन्म हुुुआ ।



10. शीतलनाथ :- जैन धर्म के दसवेें तीर्थंकर हुए शीतलनथ के पिता का नाम दृढ़रथ एवं माता का नाम हुआ सुुनंंदा । इनका जन्म माघ कृष्ण पक्ष की द्वादशी को बद्धिलपुर मेंं हुुुआ   ।


11.  श्रेयांशनाथजी :- ग्यारहवें तीर्थंकर श्रेेेयांशनाथजी का जन्म सिंहपुरी नामक स्थान मेंं हुुुआ ।


12. वासुपूज्य :- बारहवें तीर्थंकर का जन्म चंपापुरी में हुआ । 


13. विमलनाथ :- तेरहवें तीर्थंकर विमलनाथ थे इनका जन्म माघ शुक्ल तीज को कपिलपुर में हुआ ।


14. अनंतनाथजी :- ये जैन धर्म के चौंदहवे तीर्थंकर हुए ।


15. धर्मनाथजी :- धर्मनाथ जी का जन्म रत्नापुर मे हुुुआ । ये जैन धर्म के पंद्रहवें तीर्थंकर हुए ।

16. शांतिनाथ :- जैन धर्म के सोलहवें तीर्थंकर शांतिनाथ का जन्म ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को हस्तिनापुर के इक्ष्वाकु कुल में हुआ । शाांतिनाथ के पिता हस्तिनापुर के राजा विश्वसेन थे तथा माता का नाम आर्या था ।


17.  कुंथुनाथजी :- सत्रहवें तीर्थंकर कुंंथुनाथजी की माता श्रीकांता देवी और पिता राजा सूूर्यसेन था। इनका जन्म वैैैशाख मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हस्तिनापुर मेंं हुुआ ।


18. अरहनाथजी :- ये जैन धर्म के अठारहवें तीर्थंकर हुए । 


19. मल्लिनाथ :- उन्नीसवें तीर्थंकर मल्लिनाथ के पिता का नाम कुुंभराज और माता का नाम प्रभावती था ।


20. मुनिसुव्रतनाथ :- ये जैन धर्म के बीसवें तीर्थंकर हुए और इनका जन्म राजगढ़ में हुआ था । 


21. नमिनाथ :- इक्कीसवेें तीर्थंकर नमिनाथ मिथिला के राजा थेे और इक्ष्वाक कुल मे  इनका जन्म श्रावण मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मिथिलापुरी में हुआ थाा ।


22. नेमिनाथ :- बाइसवें तीर्थंकर नेमिनाथ का जन्म राजा समुुद्रविजय और माता शिवादेवी के घर हुआ । श्रावण मास के कृृष्ण पक्ष की पंचमी को शौरपुरी ( मथुुरा ) मेें हुआ । यादववंशी राजा अंधकवृष्णी केे ज्येष्ठ पुत्र समुद्रविजय  के पुुत्र थे नेमिनाथ । अंधकवृष्णी के सबसे छोटे पुत्र थे वासुुुदेव जिनके पुुत्र हुए भगवान श्रीकृष्ण । श्रीकृष्ण के चचेरे भाई हुए नेमिनाथ ।  इन्हेंं उज्जैन या गिरनार पर्वत पर निर्वाण की प्राप्ति हुई थी ।


23. पार्श्वनाथ :-  23 वेें तीर्थंकर पार्श्वनाथ केे पिता राजा अश्वसेेन तथा माता का नाम वामा था । इनका जन्म पौष कृष्ण पक्ष की दशमी को काशी में हुआ।  इनको सम्मेेद शिखर पर निर्वाण की प्राप्ति हुुई ।


24. महावीर :- जैन धर्म के 24 वें और अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी को कुंंडलपुर मेें हुआ । महावीर स्वामी के बचपन  का नाम वर्धमान था । इनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता त्रिशला थी ।
कार्तिक मास की अमावस्या के दिन इन्हें पावापुरी में 72 वर्ष की अवस्था में निर्वाण की प्राप्ति हुई थी ।

       
Jain Dharma 24 Tirthakar Mahavir swami
 Mahavir swami 24th Tirthakar

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