भीम और हनुमान की कहानी / Bheem aur hanuman ki kahani
भीम और हनुमान की कहानी / BHEEM AND HANUMAN STORY
महाभारत के पांच पांडव भाइयों मे से एक भीम का जन्म पवनदेव के आशीर्वाद स्वरुप हुआ था । क्योंकि माता कुंती को यह वरदान प्राप्त था कि वह जिस भी देवता का आह्वान करके उनसे पुत्र की इच्छा रखेगी उस देवता से उन्हें पुत्र की प्राप्ति होगी । इस तरह पांडु भीम के धर्मपिता हुए । भीम युधिष्ठिर से छोटे और अर्जुन , नकुल और सहदेव से बड़े थे । कहते हैं कि भीम मे सौ हाथियों का बल था । वे हमेशा भोजन के बारे में ही सोचते और अगर भोजन मिल जाए तो बस भीम को और कुछ नहीं दिखता था । भीम का पूरा नाम भीमसेन था । उनका विवाह द्रौपदी और हिडिम्बा के साथ हुआ था ।
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द्रौपदी से उन्हें सुतासोमा और हिडिम्बा से घटोत्कच नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी । उनके दोनों पुत्र महाभारत युद्ध में ही मारे गए । भीम बहुत विशालकाय शरीर के हष्ट-पुष्ट थे । उन्हें अपनी ताकत का बहुत घमंड था । भगवान श्रीकृष्ण ने उनका यह घमंड तोड़ने के लिए हनुमान जी को बुलाया । हनुमान जी त्रेता युग में भगवान राम के अनन्य भक्त थे और वे महाभारत काल से भी जुड़े हुए थे । महाभारत युद्ध में उनका प्रमुख योगदान रहा था । वे अर्जुन के रथ मे अदृश्य रूप से विद्यमान थे । हनुमान जी के भी धर्म पिता पवनदेव थे अतः देखा जाए तो हनुमान जी और भीम दोनों भाई थे ।
महाभारत कथा के अनुसार पांडवो को 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास मिला था । तब पांचो पांडव और द्रौपदी वन में निवास करने लगे । अर्जुन दिव्य अस्त्र प्राप्ति के लिए हिमालय तपस्या करने चले बाकी पांडव और द्रौपदी वन में ही निवास करने लगे । शांतिपूर्ण वातावरण के लिए वे नारायण आश्रम चले गए और निश्चय किया कि कुछ दिन यही निवास करेंगे ।
एक दिन कहीं से एक कमल का पुष्प उड़ कर द्रौपदी के पास आया । वह पुष्प बहुत ही सुगंधित था । उसकी सुगंध से द्रौपदी उस फूल पर मोहित हो गई । उसने भीम से उस तरह के और फूल लाने के लिए कहा । भीम , द्रौपदी की इच्छा पूरी करने के लिए कमल का फूल लाने के लिए खोज में निकल पड़े । पुष्प की खोज में भीम एक वन में पहुंचे तभी उन्होंने देखा कि वन के रास्ते में एक वानर लेटा हुआ है जोकि भीम का रास्ता रोके हुए है ।
भीम ने कहा - 'हे वानर! मेरे रास्ते से हट जाओ ' लेकिन उस वानर ने कोई जबाब नहीं दिया और न ही भीम का रास्ता साफ किया ।
भीम ने गुस्से से फिर उस वानर को हटने का आदेश दिया लेकिन फिर भी वह वानर टस से मस नहीं हुआ । अब तो भीम को अत्यधिक क्रोध आ गया और वह गरजे - बूढ़े वानर । तुम्हें नहीं पता है कि तुम्हारे सामने कौन खड़ा है । मै पांडु पुत्र भीम हूँ । यदि तुम मेरा अपमान करोगे तो तुम्हें इसका प्रकोप झेलना पडेगा । इसलिए मेरा समय मत बरबाद करो और मेरे रास्ते से हट जाओ ।
तब उस वानर ने कहा - अगर तुम इतनी जल्दी मे हो तो मेरी पूंछ हटाकर निकल जाओ ।
भीम ने वानर की पूंछ हटाने की कोशिश की लेकिन वह पूंछ हिला तक नहीं सके ।
वानर ने भीम से पूछा - हनुमान कौन है ? उसने ऐसा क्या किया है जो वह इतना महान है ।
भीम ने उत्तर दिया - तुम इतने मूर्ख और अज्ञानी हो तुम वानरश्रेष्ट हनुमान जी को नहीं जानते ? परम शक्तिशाली हनुमान जी ने समुद्र लाँघकर लंका में माता सीता को खोजा , लक्ष्मण की मूर्छा तोडने के लिए पूरा पर्वत उठा लाएं । क्या तुम उन्हें नहीं जानते ?
वानर सिर्फ़ मुस्करा रहे थे और भीम उनकी पूंछ हटाने की पुरजोर कोशिश कर रहे थे । उन्होंने अपना सारा बल लगा दिया परंतु पूंछ टस से मस न हुई । भीम को लगा कि यह कोई साधारण वानर नहीं है - " आप कोई साधारण वानर नहीं लगते कृपया अपना परिचय दे !
वानर ने कहा - भीम में वही हनुमान हूं जिसकी प्रशंसा अभी तुम कर रहे थे । मैं तुम्हारा बड़ा भाई भी हूँ । तुम्हारा रास्ता आगे खतरनाक है और मै तुम्हारी सहायता करने आया हूँ । तुम जिस कमल के फूल की खोज में आए हो वह सरोवर मे तुम्हें दिखा देता हूँ फिर जितने चाहे फूल तोड़ लेना ।
महाभारत के पांच पांडव भाइयों मे से एक भीम का जन्म पवनदेव के आशीर्वाद स्वरुप हुआ था । क्योंकि माता कुंती को यह वरदान प्राप्त था कि वह जिस भी देवता का आह्वान करके उनसे पुत्र की इच्छा रखेगी उस देवता से उन्हें पुत्र की प्राप्ति होगी । इस तरह पांडु भीम के धर्मपिता हुए । भीम युधिष्ठिर से छोटे और अर्जुन , नकुल और सहदेव से बड़े थे । कहते हैं कि भीम मे सौ हाथियों का बल था । वे हमेशा भोजन के बारे में ही सोचते और अगर भोजन मिल जाए तो बस भीम को और कुछ नहीं दिखता था । भीम का पूरा नाम भीमसेन था । उनका विवाह द्रौपदी और हिडिम्बा के साथ हुआ था ।
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द्रौपदी से उन्हें सुतासोमा और हिडिम्बा से घटोत्कच नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी । उनके दोनों पुत्र महाभारत युद्ध में ही मारे गए । भीम बहुत विशालकाय शरीर के हष्ट-पुष्ट थे । उन्हें अपनी ताकत का बहुत घमंड था । भगवान श्रीकृष्ण ने उनका यह घमंड तोड़ने के लिए हनुमान जी को बुलाया । हनुमान जी त्रेता युग में भगवान राम के अनन्य भक्त थे और वे महाभारत काल से भी जुड़े हुए थे । महाभारत युद्ध में उनका प्रमुख योगदान रहा था । वे अर्जुन के रथ मे अदृश्य रूप से विद्यमान थे । हनुमान जी के भी धर्म पिता पवनदेव थे अतः देखा जाए तो हनुमान जी और भीम दोनों भाई थे ।
महाभारत कथा के अनुसार पांडवो को 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास मिला था । तब पांचो पांडव और द्रौपदी वन में निवास करने लगे । अर्जुन दिव्य अस्त्र प्राप्ति के लिए हिमालय तपस्या करने चले बाकी पांडव और द्रौपदी वन में ही निवास करने लगे । शांतिपूर्ण वातावरण के लिए वे नारायण आश्रम चले गए और निश्चय किया कि कुछ दिन यही निवास करेंगे ।
एक दिन कहीं से एक कमल का पुष्प उड़ कर द्रौपदी के पास आया । वह पुष्प बहुत ही सुगंधित था । उसकी सुगंध से द्रौपदी उस फूल पर मोहित हो गई । उसने भीम से उस तरह के और फूल लाने के लिए कहा । भीम , द्रौपदी की इच्छा पूरी करने के लिए कमल का फूल लाने के लिए खोज में निकल पड़े । पुष्प की खोज में भीम एक वन में पहुंचे तभी उन्होंने देखा कि वन के रास्ते में एक वानर लेटा हुआ है जोकि भीम का रास्ता रोके हुए है ।
भीम ने कहा - 'हे वानर! मेरे रास्ते से हट जाओ ' लेकिन उस वानर ने कोई जबाब नहीं दिया और न ही भीम का रास्ता साफ किया ।
भीम ने गुस्से से फिर उस वानर को हटने का आदेश दिया लेकिन फिर भी वह वानर टस से मस नहीं हुआ । अब तो भीम को अत्यधिक क्रोध आ गया और वह गरजे - बूढ़े वानर । तुम्हें नहीं पता है कि तुम्हारे सामने कौन खड़ा है । मै पांडु पुत्र भीम हूँ । यदि तुम मेरा अपमान करोगे तो तुम्हें इसका प्रकोप झेलना पडेगा । इसलिए मेरा समय मत बरबाद करो और मेरे रास्ते से हट जाओ ।
तब उस वानर ने कहा - अगर तुम इतनी जल्दी मे हो तो मेरी पूंछ हटाकर निकल जाओ ।
Bheem aur hanuman |
भीम ने वानर की पूंछ हटाने की कोशिश की लेकिन वह पूंछ हिला तक नहीं सके ।
वानर ने भीम से पूछा - हनुमान कौन है ? उसने ऐसा क्या किया है जो वह इतना महान है ।
भीम ने उत्तर दिया - तुम इतने मूर्ख और अज्ञानी हो तुम वानरश्रेष्ट हनुमान जी को नहीं जानते ? परम शक्तिशाली हनुमान जी ने समुद्र लाँघकर लंका में माता सीता को खोजा , लक्ष्मण की मूर्छा तोडने के लिए पूरा पर्वत उठा लाएं । क्या तुम उन्हें नहीं जानते ?
वानर सिर्फ़ मुस्करा रहे थे और भीम उनकी पूंछ हटाने की पुरजोर कोशिश कर रहे थे । उन्होंने अपना सारा बल लगा दिया परंतु पूंछ टस से मस न हुई । भीम को लगा कि यह कोई साधारण वानर नहीं है - " आप कोई साधारण वानर नहीं लगते कृपया अपना परिचय दे !
वानर ने कहा - भीम में वही हनुमान हूं जिसकी प्रशंसा अभी तुम कर रहे थे । मैं तुम्हारा बड़ा भाई भी हूँ । तुम्हारा रास्ता आगे खतरनाक है और मै तुम्हारी सहायता करने आया हूँ । तुम जिस कमल के फूल की खोज में आए हो वह सरोवर मे तुम्हें दिखा देता हूँ फिर जितने चाहे फूल तोड़ लेना ।
भीम बड़े प्रसन्न हुए और हनुमान जी का विराट रूप देखने की इच्छा जताई । हनुमान जी ने भीम को अपने विराट रूप के दर्शन दिए । भीम उनका यह रूप देख दंग रह गए और आँखे बंद कर ली । हनुमान जी अपने वास्तविक रूप में आकर भीम को गले लगा लेते हैं । हनुमान जी के गले लगाते ही भीम की ताकत और बढ़ गई और उनका अहंकार नष्ट हो गया । हनुमान जी ने अपने भाई की हमेशा सहायता करने का आश्वासन दिया ।
महाभारत की कहानियाँ ( stories of mahabharat)
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