कब है अक्षय तृतीया जाने पौराणिक कथा
Akshay Tiritya 2020 |
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अधिष्ठात्री देवी माता
गौरी है । उनकी साक्षी मे किया गया धर्म-कर्म दान अक्षय हो
जाता है , इसलिए इस तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है ।
अक्षय तृतीया से समस्त मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते है ।
अक्षय तृतीया का पौराणिक कथाओं में वर्णन :-
महाभारत काल में जब पांडवो को तेरह वर्ष का वनवास और
एक वर्ष का अज्ञातवास मिला था तभी एक बार उनकी
कुटिया में दुर्वासा ऋषि पधारें । उस समय द्रौपदी से जितना
भी हुआ उसने ऋषि का बड़ी श्रद्धा और प्रेम से स्वागत
सत्कार किया जिससे दुर्वासा ऋषि बहुत प्रसन्न भी हुए ।
दुर्वासा ऋषि ने उस समय द्रौपदी को एक अक्षय पात्र दिया ।
साथ ही द्रौपदी को बताया कि आज अक्षय तृतीया है , अतः
आज के दिन जो भी धरती पर श्री हरी विष्णु की विधि -
विधान से पूजा - अर्चना करेगा तथा उनको चने का सत्तू, गुड़
मौसमी फल , वस्त्र , जल से भरा घड़ा तथा दक्षिणा के साथ
श्री विष्णु के निमित्त दान करेगा , उसके घर का भण्डार सदैव
भरा रहेगा । उसके धन-धान्य का क्षय नहीं होगा , उसमें अक्षय
वृद्धि होगी ।
अक्षय तृतीया 2020 :-
इस वर्ष अक्षय तृतीया 26 अप्रैल , रविवार को मनाया जाएगा ।
अक्षय तृतीया को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है ।
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