जगन्नाथ रथयात्रा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

                              
Jagannath puri Rath Yatra 2020


जगन्नाथ मंदिर को हिन्दू धर्म मेंं चारों धाम में से एक माना

गया है । यहां हर वर्ष भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा

निकाली जाती है जो सिर्फ देश में नहीं विश्व भर में अति

प्रसिद्ध हैं । जगन्नाथ पुरी को मुख्यतः पुरी नाम से जाना जाता

है । रथयात्रा की धूम दस दिनों तक चलती है और इस समय

पूरे देश से लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं ।


भगवान जगन्नाथ को श्रीकृष्ण का अवतार माना जाता है

जिनकी महिमा का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में भी

किया गया है । जगन्नाथ रथयात्रा में श्रीकृष्ण , बलराम और

उनकी बहन सुभद्रा का रथ होता है । जो इस रथयात्रा में

शामिल होकर रथ को खींचते हैं उन्हें सौ यज्ञों के बराबर का

पुण्य मिलता है । हिन्दू धर्म में जगन्नाथ रथयात्रा का बहुत

महत्व है । मान्यता के अनुसार भगवान जगन्नाथ के रथ को

निकालकर प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर पहुंचाया जाता है जहाँ

भगवान जगन्नाथ आराम करते हैं । गुंडिचा माता मंदिर में

भारी तैयारीयां होती हैं । इस यात्रा को पूरे भारत में एक पर्व

की तरह मनाया जाता है । रथयात्रा में सबसे पहला रथ

बलराम का होता है फिर उनकी बहन सुभद्रा का रथ बीच में

होता है और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ रहता है ।

भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष 45.6 फीट ऊंचा , बलराम

जी का रथ तालध्वज  45 फीट ऊंचा और देवी सुभद्रा का

रथ दर्पदलन 44.6 फीट ऊंचा रहता है ।

सभी रथ नीम की पवित्र और परिपक्व लकड़ियों से बनाया

जाता है । इन रथों के निर्माण में किसी प्रकार के धातु का

प्रयोग नही किया जाता है । रथों के लिए लकड़ी का चयन

वसंत पंचमी से शुरू होता है और रथ का निर्माण अक्षय 

तृतीया से शुुरू होता है ।


जगन्नाथ रथयात्रा आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया

तिथि को प्रारंभ होती हैं । इस वर्ष रथयात्रा मंगलवार 23 जून

2020 को होने वाली है । वैसे इस समय जिस तरह के हालात

है कोरोना वायरस को लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता है ।


रथयात्रा के पीछे की पौराणिक कथा:-

ऐसा माना जाता है कि एक बार श्रीकृष्ण की बहन देवी सुभद्रा

ने अपने भाईया से द्वारका नगर घूमने की इच्छा जताई थी ।

तब भगवान श्रीकृष्ण उन्हें रथ मे बैठाकर पूरा नगर घुमाते है ।

         
Bhagwan Jagannath , shubhadra and Balram in Jagannath puri

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