अर्जुन और उलूपी
द्रौपदी का विवाह पांच पांडव भाइयों से हुुुआ था और
नियमानुसार वह एक वर्ष एक ही पति के साथ रहती थी और
इस अवधि में किसी और पांडव भाइयों को उसके कक्ष में
आने की अनुमति नहीं थी । अर्जुन की द्रौपदी के साथ रहने
की अवधि अभी-अभी खत्म हुई थी और युधिष्ठिर की अवधि
शुरू हुई। ऐसे में एक बार अर्जुन अपने अस्त्र-शस्त्र द्रौपदी के
कक्ष में ही भुल गए और उन्हें तत्काल उसकी जरूरत पड़ी
एक ब्राह्मण की रक्षा के लिए मजबूरी में अर्जुन को द्रौपदी के
कक्ष में जाना पड़ा जहां युधिष्ठिर और द्रौपदी अकेले थे ।
नियमानुसार अर्जुन को एक वर्ष के लिए राज्य छोड़कर जाना
पड़ा ।
इस एक वर्ष के वनवास के समय अर्जुन तीर्थाटन करते हुए
हरिद्वार के पास गंगा पहुंचे । जहां नागकन्या उलूपी से उनका
साक्षात्कार हुआ । उलूपी ऐरावत वंश के कौरव्य नामक नाग
राजा की पुत्री थी । नागकन्या का विवाह एक बाग से हुआ
था जिसे गरूड़ ने मार दिया था । अर्जुन को देखते ही वह उसपर मुग्ध हो
गई और उसे अपने साथ पाताल लोक ले गई और उससे
विवाह का प्रस्ताव रखा ।
अर्जुन एक वर्ष तक नाग लोक में उलूपी के साथ रहे । दोनों
को एक पुत्र की भी प्राप्ति हुई जिसका नाम इरावन रखा गया।
खुशी-खुशी एक वर्ष निकल गए और तत्पश्चात उलूपी ने
अर्जुन को उसी जगह पहुंचा दिया जहां दोनों मिले थे ।
अपनी मनोकामना पूरी होने पर उलूपी ने अर्जुन को समस्त
जलचरों का स्वामी होने का वरदान दिया ।
उलूपी जब अर्जुन सशरीर स्वर्ग जाने लगे तब भी उनके साथ
थी ।
- महाभारत की कहानियाँ ( stories of mahabharat )
नियमानुसार वह एक वर्ष एक ही पति के साथ रहती थी और
इस अवधि में किसी और पांडव भाइयों को उसके कक्ष में
आने की अनुमति नहीं थी । अर्जुन की द्रौपदी के साथ रहने
की अवधि अभी-अभी खत्म हुई थी और युधिष्ठिर की अवधि
शुरू हुई। ऐसे में एक बार अर्जुन अपने अस्त्र-शस्त्र द्रौपदी के
कक्ष में ही भुल गए और उन्हें तत्काल उसकी जरूरत पड़ी
एक ब्राह्मण की रक्षा के लिए मजबूरी में अर्जुन को द्रौपदी के
कक्ष में जाना पड़ा जहां युधिष्ठिर और द्रौपदी अकेले थे ।
नियमानुसार अर्जुन को एक वर्ष के लिए राज्य छोड़कर जाना
पड़ा ।
इस एक वर्ष के वनवास के समय अर्जुन तीर्थाटन करते हुए
हरिद्वार के पास गंगा पहुंचे । जहां नागकन्या उलूपी से उनका
साक्षात्कार हुआ । उलूपी ऐरावत वंश के कौरव्य नामक नाग
राजा की पुत्री थी । नागकन्या का विवाह एक बाग से हुआ
था जिसे गरूड़ ने मार दिया था । अर्जुन को देखते ही वह उसपर मुग्ध हो
गई और उसे अपने साथ पाताल लोक ले गई और उससे
विवाह का प्रस्ताव रखा ।
अर्जुन एक वर्ष तक नाग लोक में उलूपी के साथ रहे । दोनों
को एक पुत्र की भी प्राप्ति हुई जिसका नाम इरावन रखा गया।
खुशी-खुशी एक वर्ष निकल गए और तत्पश्चात उलूपी ने
अर्जुन को उसी जगह पहुंचा दिया जहां दोनों मिले थे ।
अपनी मनोकामना पूरी होने पर उलूपी ने अर्जुन को समस्त
जलचरों का स्वामी होने का वरदान दिया ।
उलूपी जब अर्जुन सशरीर स्वर्ग जाने लगे तब भी उनके साथ
थी ।
- महाभारत की कहानियाँ ( stories of mahabharat )
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