आठ पौराणिक मनुष्य जो आज भी जीवित है / Hindu mythology 8 immortal people
जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है , गीता मे भगवान
श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यही उपदेश दिया था कि आत्मा तो
अजर-अमर है और यह एक निश्चित समय के लिए शरीर
धारण करती है । शरीर नश्वर है , परंतु हिन्दू पुराणों के
अनुसार माता के गर्भ से जन्म लेने वाले आठ ऐसे व्यक्ति हैं जो
चिरंजीवी है । इनकी मृत्यु आज तक नही हुई है । ऐसा माना
जाता है कि ऐ आठों किसी नियम, वचन या श्राप से बंधे हुए
है और दिव्य शक्तियों से युक्त एक दिव्य आत्मा है । हिन्दू धर्म
के अनुसार वे आठ जीवित अजर अमर महामानव है ।
इन आठ महामानवों के नाम इस प्रकार है - द्रोणाचार्य के पुत्र
अश्वथामा , दैत्यराज राजा बलि , महर्षि वेदव्यास , अंजनी
पुत्र हनुमान , कृपाचार्य , भगवान परशुराम , विभीषण और
ऋषि मार्कंडेय ।
मान्यता के अनुसार जो भी व्यक्ति सुबह-सुबह इन आठों
महामानवों का नाम स्मरण करते हैं उसके सारे रोग बीमारी
खत्म हो जाती है और वह मनुष्य सौ वर्षों तक जीता है ।
हनुमान जी - श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी ने जब माता
सीता को अशोक वाटिका में प्रभु श्रीराम का संदेश पहुंचाया
तो माता सीता ने उन्हें अजर अमर होने का वरदान दिया ।
अजर अमर होने का अर्थ है न उसे बुढ़ापा छू पाएंगा और न
ही मृत्यु । भगवान हनुमान को इसलिए कलियुग में सबसे
जाग्रत और हमेशा शक्ति का स्त्रोत माना गया है क्योंकि वे
चिर युव है ।
कृपाचार्य :- कृपाचार्य कौरवों और पांडवो के कुलगुरू थे ।
वे गौतम ऋषि के पुत्र थे उनकी बहन का नाम कृपी था
जिसका विवाह द्रोणाचार्य के साथ हुआ था । वे अश्वथामा के
मामा थे । महाभारत युद्ध में वे कौरवों की ओर से लडें ।
अश्वथामा :- अश्वथामा द्रोणाचार्य के पुत्र थे । महाभारत के
अनुसार अश्वथामा काल , क्रोध , यम और भगवान भोलेनाथ
के सम्मिलित अंशावतार थे । अश्वथामा अत्यंत शूरवीर और
प्रचंड क्रोधी स्वभाव के योद्धा थे । अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा
के गर्भ में ब्रह्मास्त्र छोडने के कारण भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें
दण्ड स्वरूप चिरकाल तक पृथ्वी पर निर्जन स्थानों में भटकने
का श्राप दिया था । उन्होंने उसके माथे पर से दिव्य मणि भी
निकाल ली थी । इस कारण से ऐसा कहा जाता है कि
अश्वथामा के सर से आज भी खून रिसता है और वह दर्द से
तडपते हुए अपनी मुक्ति के लिए भगवान भोलेनाथ की पूजा
करते हैं ।
ऋषि मार्कंडेय :- भगवान भोलेनाथ के परम भक्त थे और
तपस्या कर भोलेनाथ को प्रसन्न किया । महामृत्युंजय मंत्र
सिद्धि के कारण चिरंजीवी बन गए ।
विभीषण :- लंकापति रावण के भाई और श्रीराम के अनन्य
भक्त विभीषण भी चिरंजीवी है ।
दैत्यराज राजा बलि :- बलि भक्त प्रह्लाद के वंशज हैं । इन्होंने
भगवान विष्णु के वामन अवतार को अपना सब कुछ दान कर
दिया । राजा बलि भी चिरंजीवी है ।
महर्षि वेदव्यास :- अष्ट महामानवों मे चारों वेदों के तथा
भगवद्गीता और महाभारत आदि ग्रंथो के रचयिता महर्षि
वेदव्यास जी भी है । इनका असली नाम कृष्ण द्धैपायन है ।
इनका जन्म पराशर मुनि और सत्यवती से हुआ ।
परशुराम :- भगवान परशुराम विष्णु के छठे अवतार है ।
इनके पिता ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका थी । इनका जन्म
वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया को हुआ
था । इनका जन्म सतयुग और त्रेता युग के संधिकाल में माना
जाता है ।
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