पांडवो की गुरूदक्षिणा


गुरु द्रोणाचार्य द्वारा सौ कौरवों और पांच पांडवो की शिक्षा-

दीक्षा पूर्ण हुई । अब पांडवो और कौरवों की बारी आती है कि

वे अपने गुरु को गुरूदक्षिणा प्रदान करें तत्पश्चात सबने गुरु

द्रोणाचार्य से पूछा कि वे गुरूदक्षिणा में क्या लेना चाहते हैं ?

                               द्रोणाचार्य पांचाल नरेश द्रुपद द्वारा

अपना अपमान नहीं भूले थे । एक बार जब द्रोण अपनी

गरीबी से बहुत तंग आ गए थे तो उन्हें अपना बाल-सखा

द्रुपद की याद आई जिन्होंने एक बार बाल अवस्था में कहा था

कि जब वे राजा बन जाऐंगे तो अपना आधा राज्य द्रोण को

दे देंगे । बहुत कष्टों को झेलने के बाद द्रोण अपने मित्र द्रुपद

से मिल सके परंतु पांचाल नरेश द्रुपद ने पहले तो उन्हें

पहचानने  से भी इंकार कर दिया फिर कहा कि एक राजा और

एक गरीब ब्रहाण कभी मित्र नहीं हो सकते और भरी सभा में

गुरु द्रोण को अपमानित किया ।

द्रोणाचार्य ने अपने शिष्यों से कहा कि -" मुझे किसी भी धन

संपदा , मूल्यवान वस्त्र आभूषणों की लालसा नहीं है बस

मुझे अपने अपमान का प्रतिशोध द्रुपद से लेना है।  अगर मुझे

गुरूदक्षिणा ही देना चाहते हो तुम सब तो द्रुपद का पूरा

साम्राज्य जीतकर उसे मेरे कदमों मे लाना होगा। "
द्रोणाचार्य द्वारा द्रुपद का अपमान

                                            इस तरह पहले कौरवों ने

पांचाल राज्य पर आक्रमण किया परंतु वे असफल रहे ।

अब बारी थी पांडवो के आक्रमण की । अर्जुन और भीम ही

पांचाल की पूरी सेना पर भारी पड़े और पांचाल राज्य जीतकर

राजा द्रुपद को अपने गुरुदेव के चरणों पर रख दिया ।

द्रोणाचार्य ने द्रुपद से कहा -"तुमने कहा था कि एक राजा और

एक गरीब ब्रहामण कभी बराबरी नहीं कर सकते और न कभी

मित्र बन सकते हैं।  आज तुम्हारा पूरा साम्राज्य मेरा है और

तुम मेरे कदमों मे हो । अब बताओ क्या मैं तुम्हारी मित्रता के

योग्य हूँ ?"

द्रुपद बहुत लज्जित और अपमानित महसूस कर रहे थे लेकिन

वे उस समय कुछ बोल न सके । इस प्रकार द्रोणाचार्य ने अपने

राज्य का आधा हिस्सा द्रुपद को दिया और आधा खुद रखा

और अपने अपमान का प्रतिशोध गुरूदक्षिणा के रूप में

लिया ।






                              -महाभारत की कहानियाँ (tales of Mahabharata )


टिप्पणियाँ

Popular post

सिद्धार्थ और हंस / Siddhartha aur Hansha

माता वैष्णोदेवी के भक्त श्रीधर की कथा / Mata vaishno devi ke Bhakt shridhar ki katha

मधु-कैटभ कथा / Madhu-kaitav katha

शुम्भ-निशुम्भ की कथा

रानी महामाया का सपना और महात्मा बुद्ध का जन्म / Rani Mahamaya ka sapna aur Mahatma Buddha ka janam

भस्मासुर का वरदान / Bhasmasur ka wardan

समुद्र मंथन की कथा

शांतनु और गंगा / shantanu aur Ganga