प्रथम पूज्य गणेश / Prathama pujya Ganesh
एक बार की बात है, सभी देवताओं में इस बात पर विवाद हो गयी कि धरती पर सबसे पहले किसकी पूजा हो ? सबसे पहले भगवान विष्णु ने कहा कि-'मैं सृष्टि का पालन करता हूं और यह समस्त ब्रह्मांड मेरे बलबूते पर टिका हुआ है। मेरी इजाजत के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता इसलिए सबसे पहले मेरी पूजा होनी चाहिए।'
तब ब्रह्मा जी ने कहा कि-'इस समस्त ब्रह्मांड की उत्पत्ति मुझसे हुई है इसलिए सबसे पहले मेरी पूजा होने चाहिए।'
जब इस बात पर विवाद बहुत ज्यादा बढ़ गया तो देव ऋषि नारद ने इस स्थिति को देखते हुए सभी देवताओं को 'भगवान भोलेनाथ' की शरण में जाने का सुझाव दिया और उनसे इस समस्या का निवारण करने को कहा। देवताओं को नारद जी की बात सही लगी और सभी देवता भोलेनाथ की शरण में पहुंचे।
जब शिव जी ने सारी बात सुनी तो उन्होंने देवताओं के बीच इस झगड़े को सुलझाने के लिए एक योजना बनाई। उन्होंने एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमें सभी देवताओं को संपूर्ण ब्रह्मांड का एक चक्कर लगाना था और जो भी सबसे पहले चक्कर लगाकर वापस उनके पास लौटता है उसे ही प्रथम पूज्यनीय माना जाएगा।
सभी देवता खुश होकर अपने-अपने वाहनों पर विराजमान होकर चल पड़े समस्त विश्व की परिक्रमा करने। इस प्रतियोगिता में गणेश जी भी शामिल थे पर उनका वाहन चूहा है इसलिए वह परेशान हो गए कि उनका वाहन तो एक छोटा सा मूषक है और उन्हें संपूर्ण ब्रह्मांड की परिक्रमा करनी है वो भी सबसे पहले । तब गणेश जी ने सोचा कि माता-पिता का स्थान तो इस जगत में सबसे बड़ा है । मेरा तो पूरा ब्रह्मांड ही माता-पिता के चरणों में है ।
इस प्रकार गणेश जी ने अपने पिता भोलेनाथ तथा माता पार्वती की परिक्रमा की और उन्हें प्रणाम कर हाथ जोड़ एक ओर खड़े हो गए तभी कुमार कार्तिकेय भी अपने वाहन मयूर के साथ संपूर्ण ब्रह्मांड की परिक्रमा कर के लौटे और कहा कि-'मैंने समस्त ब्रह्मांड की परिक्रमा सबसे पहले पूरी की अतः मैं विजयी हुआ और आज से पृथ्वी पर सबसे पहले मेरी पूजा की जाएगी।
कुमार कार्तिकेय की बात सुनकर भगवान शिव मन-ही मन मुस्कुराते हुए बोले- 'कुमार कार्तिकेय आप से पहले तो गणेश संपूर्ण ब्रह्मांड की परिक्रमा कर यहां पहुंचा है।'
यह सुनकर कुमार कार्तिकेय हंस पड़े और कहा-'पिता श्री आप यह क्या मजाक कर रहे हैं? गणेश कैसे सबसे पहले परिक्रमा पूरी कर सकता है, उसका वाहन तो यह छोटा सा चूहा है । अगर गणेश अपने वाहन से पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करना चाहे तो उसे वर्षों लग जाएगा।'
तभी सभी देवता भी वहां आ पहुंचे। और तब भगवान शिव ने बहुत प्रसन्न होकर कहा-'गणेश को माता-पिता में ही संपूर्ण ब्रह्मांड नजर आया और इसलिए उसने हमारी परिक्रमा की । अतः उसने सबसे पहले ही ब्रह्मांड की परिक्रमा पूरी कर ली। आज गणेश ने सारे संसार को यह ज्ञान कराया है कि माता-पिता ब्रह्मांड से भी बढ़कर हैं । ऐसे पुत्र को पाकर हम धन्य हुए।'
इस प्रकार सभी देवताओं ने माना कि सच में माता पिता ही तो सबकुछ हैं। उनका स्थान तो सबसे ऊंचा है और इसलिए अपने माता-पिता की परिक्रमा कर गणेश जी ने ब्रह्मांड की परिक्रमा की है अतः वे ही प्रथम पूज्यनीय होने का अधिकार रखते हैं।
अतः भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है। गणेश जी अपनी बुद्धि और अपने माता पिता के आशीर्वाद से प्रथम पूज्यनीय बने।
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जब शिव जी ने सारी बात सुनी तो उन्होंने देवताओं के बीच इस झगड़े को सुलझाने के लिए एक योजना बनाई। उन्होंने एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमें सभी देवताओं को संपूर्ण ब्रह्मांड का एक चक्कर लगाना था और जो भी सबसे पहले चक्कर लगाकर वापस उनके पास लौटता है उसे ही प्रथम पूज्यनीय माना जाएगा।
सभी देवता खुश होकर अपने-अपने वाहनों पर विराजमान होकर चल पड़े समस्त विश्व की परिक्रमा करने। इस प्रतियोगिता में गणेश जी भी शामिल थे पर उनका वाहन चूहा है इसलिए वह परेशान हो गए कि उनका वाहन तो एक छोटा सा मूषक है और उन्हें संपूर्ण ब्रह्मांड की परिक्रमा करनी है वो भी सबसे पहले । तब गणेश जी ने सोचा कि माता-पिता का स्थान तो इस जगत में सबसे बड़ा है । मेरा तो पूरा ब्रह्मांड ही माता-पिता के चरणों में है ।
इस प्रकार गणेश जी ने अपने पिता भोलेनाथ तथा माता पार्वती की परिक्रमा की और उन्हें प्रणाम कर हाथ जोड़ एक ओर खड़े हो गए तभी कुमार कार्तिकेय भी अपने वाहन मयूर के साथ संपूर्ण ब्रह्मांड की परिक्रमा कर के लौटे और कहा कि-'मैंने समस्त ब्रह्मांड की परिक्रमा सबसे पहले पूरी की अतः मैं विजयी हुआ और आज से पृथ्वी पर सबसे पहले मेरी पूजा की जाएगी।
कुमार कार्तिकेय की बात सुनकर भगवान शिव मन-ही मन मुस्कुराते हुए बोले- 'कुमार कार्तिकेय आप से पहले तो गणेश संपूर्ण ब्रह्मांड की परिक्रमा कर यहां पहुंचा है।'
यह सुनकर कुमार कार्तिकेय हंस पड़े और कहा-'पिता श्री आप यह क्या मजाक कर रहे हैं? गणेश कैसे सबसे पहले परिक्रमा पूरी कर सकता है, उसका वाहन तो यह छोटा सा चूहा है । अगर गणेश अपने वाहन से पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करना चाहे तो उसे वर्षों लग जाएगा।'
तभी सभी देवता भी वहां आ पहुंचे। और तब भगवान शिव ने बहुत प्रसन्न होकर कहा-'गणेश को माता-पिता में ही संपूर्ण ब्रह्मांड नजर आया और इसलिए उसने हमारी परिक्रमा की । अतः उसने सबसे पहले ही ब्रह्मांड की परिक्रमा पूरी कर ली। आज गणेश ने सारे संसार को यह ज्ञान कराया है कि माता-पिता ब्रह्मांड से भी बढ़कर हैं । ऐसे पुत्र को पाकर हम धन्य हुए।'
इस प्रकार सभी देवताओं ने माना कि सच में माता पिता ही तो सबकुछ हैं। उनका स्थान तो सबसे ऊंचा है और इसलिए अपने माता-पिता की परिक्रमा कर गणेश जी ने ब्रह्मांड की परिक्रमा की है अतः वे ही प्रथम पूज्यनीय होने का अधिकार रखते हैं।
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