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अभी दिल्ली दूर है

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बात उस समय की है, जब दिल्ली में तुगलक वंश का शासन था और  दिल्ली के तख़्त पर ग़यासुद्दीन तुगलक बैठा था परंतु उस समय सुल्तान ग़यासुद्दीन से ज्यादा देश-विदेशों में मसहूर सूूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया की ही चर्चा थी ।  औलिया साहब के मानने वालों में हर धर्म और जाति के लोग थे । सुलतान औलिया साहब को बिलकुल पसंद नहीं करता था जबकि आमिर खुसरो जो उन्हीं के ही परम शिष्य थे सुुुलतान के दरबारी कवियों में से एक थे तथा सुल्तान उनका बहुत सम्मान किया करता था । सुल्तान को लगता था कि हजरत निजामुद्दीन औलिया और उनके इर्द-गिर्द उनके शागिर्द उसके खिलाफ साजिश रचते हैंं ।  सुुुल्तान के चाटुकार मंत्रियों नेे  ख्वाजा साहब के खिलाफ उनके कान भरे थे कि कैसे एक मामूली संत को सुल्तान से भी ज्यादा सम्मान मिलता है । सुल्तान ग़यासुद्दीन ने अपनी शान बढाने के लिए दिल्ली के महरौली और ग़यासपुर के बीच सुनहरी ईटों से एक नया शहर बसाया था और इसके चारों तरफ चाहरदीवारी खिंचवाई थी । उसी के नाम से इस शहर का नाम तुग़लकाबाद पड़ा । वह चाहता था कि लोग आ-आकर उसे सलाम बजाते रहे और उसके काम की तारीफ करते रहें । लोग ऐसा किया भी करते

कहां राजा भोज कहां गंगू तेली

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मालवा के प्रतापी राजा भोज ने धारानगरी को अपनी राजधानी बनाया था । इस नगरी की भव्यता को देखकर राजा के ऐश्वर्य का पता चलता है । उस समय इस नगरी की चर्चा पूरे देश में फैैैैली हुई थी । परमारवंशीय राजा भोज बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । वे सिर्फ शस्त्रों के नहीं बल्कि शास्त्रोंं के भी ज्ञाता थेे । उनकी तुलना महान विद्वान में की जाती है । इसके अलावा भोज एक महान संस्थापक भी थे । उन्होंने कई मंदिरों का भी निर्माण कराया । इतिहास में उन्हें एक जन-प्रिय शासक के रूप मे जाना जाता है । एक बार दक्षिण के दो राजाओं गंंगेेय कलचुुरि नरेश और चालुुुका नरेश तैलय नेे मिलकर धार पर आक्रमण कर दिया परंतुु वे राजा भोज से बुरी तरह हार गए ।  इस पराजय के बाद लोगों ने राजा गंगेय और चालुका नरेश तैलय की हंसी उड़ाई और कहा कहां राजा भोज कहां गांगेय तैलंग । यही बात आगे चलकर टूट गई और सामान्य जीवन में कहा जाने लगा कहां राजा भोज कहां गंगू तेली । Also Read :- ●  अभी दिल्ली दूर है ●  अंगूर खट्टे हैं ●  अढ़ाई दिन की बादशाहत Recent post :- •  जब प्रभु श्रीराम ने छुपकर मारा वानरराज बाली को •  चक्रव्यूह रच