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जनवरी, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

रुक्मिणी हरण तथा श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह

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विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री देवी रुक्मिणी माता लक्ष्मी का अवतार थीं और उनका विवाह श्रीकृष्ण सेे निश्चित था । रुक्मिणी भी श्रीकृष्ण की प्रशंसा सुनकर उनसे प्रेम करने लगी तथा माता जगदंबा के सामने उन्होंने मन में कृष्ण को ही अपना पति मान लिया था ।                                राजा भीष्मक के पाँच पुत्र तथा एक पुत्री थी । ज्येष्ठ पुत्र का नाम रूक्मि था जिसे ब्रह्मा जी से ब्रह्मास्त्र प्राप्त था । रुक्मिणी की माता पिता तथा चारों भाई चाहते थे कि उसका विवाह कृष्ण के साथ हो क्योंकि वे जानते थे और रुक्मिणी मन ही मन कृष्ण से प्रेम करती है इसलिए उसने अपने लिए आयोजित स्वयंवर में आने से मना कर दिया था परंतु रूक्मि कृष्ण को अपना शत्रु मानता था और इसलिए रुक्मिणी का विवाह अपने परम मित्र शिशुपाल के साथ करने का निर्णय ले चुका था । राजा भीष्मक तथा अन्य चारों रूक्मि की शक्ति से डरते थे अतः वे उसका विरोध न कर सके । परिणामस्वरूप भीष्मक ने शिशुपाल के पास अपनी पुत्री के विवाह के लिए निमंत्रण भेज दिया अतः वह बारात लेकर विदर्भ की राजधानी कुण्डिनपुर के पास पहुंचा । बारात क्या शिशुपाल, जरासंध, पौण्ड्रक ,

अर्जुन और सुभद्रा का प्रेम विवाह

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द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण और बलराम की इकलौती बहन सुभद्रा  जब विवाह के योग्य हुु ई तो कृष्ण की पटरानी रुक्मिणी को उसके विवाह की चिंता हुई । वह अपने पति से बोली -' प्रभु ! आपकी लाडली बहन अब जवान हो गई है और इसलिए आपको अब उसके विवाह के बारे में सोचना चाहिए । कोई अच्छा सा वर ढूंढ कर उसका विवाह  कर देना चाहिए । रुक्मिणी की बात सुनकर मधुसूदन मुसकुराते हुए बोले  - 'इसमें चिंता की क्या बात है, सुभद्रा का विवाह हो जाएगा। ' रुक्मिणी (उत्सुकता से ) - यह आप क्या कह रहे हैं । क्या आपको नहीं पता विवाह कराने के लिए एक वर की आवश्यकता पड़ेगी?  मधुसूदन ( मुसकुराते हुए ) - सुभद्रा के लिए वर ढूँढने की आवश्यकता करनी ही नहीं पड़ेगी वर खुद-व-खुद चला आवेगा । तभी कुंती पुत्र अर्जुन के आने की सूचना मिलती है। देवी रुक्मिणी श्रीकृष्ण की तरफ देखकर मुसकुुराती है और उनका इशारा समझती है ।   उधर सुभद्रा अपनी सखियों के साथ रैवतक पर्वत की प्रदक्षिणा करने गई हुई थी ,अर्जुन भी शिकार खेलते हुए उधर जा पहुंचे । वहां पर अर्जुन ने सुभद्रा को देखा और उसकी सुंदरता में मुग्ध हो उससे प्रेम करने लगे ।